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अनजान हमसफर
इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। ग...
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#घूंट_घूंट_उतरते_दृश्य एक तो अनजाना रास्ता वह भी घाट सड़क कहीं चिकनी कहीं न सिर्फ उबड़ खाबड़ बल्कि किनारे से टूटी। किनारा भी पहाड़ तरफ का त...
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भास्कर मधुरिमा पेज़ २ पर मेरी कहानी 'शॉपिंग '… http://epaper.bhaskar.com/magazine/madhurima/213/19022014/mpcg/1/
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आईने में झांकते देखते अपना अक्स नज़र आये चहरे पर कुछ दाग धब्बे अपना ही चेहरा लगा बदसूरत ,अनजाना घबराकर नज़र हटाई अपने अक्स से और देखा...
nice
ReplyDeleteसुंदर!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो कविता जी आपको , सुंदर लेखन
ReplyDeleteअजय कुमार झा
dhanyavad sumanji,dwediji aur ajayji.
ReplyDeletebahut bahut badhai...
ReplyDelete★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता
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प्रत्येक रविवार प्रातः 10 बजे C.M. Quiz
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क्रियेटिव मंच
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.
ReplyDeleteअति सुन्दर !
ReplyDeleteSUBHA KA EKDAM SUNDER CHITRAN AAP KE KHOOB SURAT SHABDO MAIN KIYA HAI. PER AB MAHANAGAR MAIN YE DEKHANE KO NAHI MILTE HAI.bAHUT SUNDER KALPANA HAI AAP KI JOB YATHARTH KE BEHAD KARIB HAI. bAHUT-BAHUT BADHAI
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