कुछ छोटी छोटी कहानियाँ जो अपने आप में बहुत गहरे अर्थ समेटे हुए हैं ....
छुपम छई खेलते वह उसे ढूँढने के लिए आवाज़ देती और वह उसका जवाब, और पकड़ा जाता। उसके दोस्त उसकी बेवकूफी पर बहुत हँसते।
एक बार उसने उसकी पुकार का कोई जवाब नहीं दिया और वह उसे ढूँढते ढूँढते खुद खो गयी।
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बिना प्यार के इस दुनिया में कुछ नहीं । तुमने मुझे प्यार करना सिखा दिया। पत्नी की आँखों में डूबते हुए उसने कहा।
बाहर आँगन में बूढी माँ अकेली पड़ी खाँस रही थी।
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तुम रोज़ पेन पेंसिल,पुस्तक माँगते हो खुद की क्यों नहीं लाते?उसने झुंझलाते हुए कहा।
हौले से मुस्कुरा कर उसने पेंसिल ले ली और अपना पेंसिल बॉक्स चुपके से दोस्त को दे दिया।
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कक्षा से सबके जाने के बाद उसने उसका नाम ब्लेक बोर्ड पर लिख कर दिखाया।
यह उसके पहले प्यार का पहला इज़हार था।
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ये दिखाने के लिए कि उसकी कोई परवाह नहीं ,उसने उसे देखते ही मुंह फेर लिया।
और उसने ये सोच कर लम्बी सांस भरी कम से कम वह अब तक पहचानता तो है।
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वह बहुत बदल गया है उसके हाव भाव, बात करने का तरीका, उसका अंदाज़ उसके दोस्त उसकी पहचान सब कुछ,
लेकिन फिर भी उसकी आँखे वैसी की वैसी क्यों हैं ????
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बेहतर है तुम मुझे भूल जाओ मैंने तुम्हे अपनी जिंदगी से निकाल दिया है।
ओह ये अचानक बादल क्यों बरस पड़े?
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प्यार जब हद से ज्यादा बढ़ जाये तो क्या बोझ हो जाता है? उसने कोई जवाब नहीं दिया।
आज जाने से पहले उसने कहा में बहुत हल्का महसूस कर रहा हूँ।उसे जवाब मिल गया।
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अच्छा बताओ दुःख का रंग गहरा होता है या उदासी का?
जब अपनों का साथ न हो उस समय आयी ख़ुशी का रंग सबसे स्याह होता है .
उसने कहीं दूर देखते हुए जवाब दिया
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