Saturday, January 30, 2010

ड्यूटी

कल शाम घर लौटते हुए चौराहे पर लाल बत्ती होने से रुकना पड़ा.ग्रीन सिग्नल होने पर भी जब गाड़ियाँ रुकी रही तो कौतुहल हुआ की क्या कारण है?तभी यातायात पोलिसे का जवान एक ठेले वाले (जिसके ठेले पर लोहे के सरिये भरे थे ) के साथ-साथ उसे चौराहा पार करवाता हुआ निकला । जवान एक हाथ से ठेले को धकाने में मदद कर रहा था,और दूसरे हाथ से ग्रीन सिग्नल में भी यातायात को रुकने का इशारा कर रहा था।उसके चौराहा पार करते ही सभी गाड़िया तेज़ी से आगे बढ़ी ,पर मैं पलट कर उन दोनों को देखने का लोभ संवरण न कर पायी,चौराहा पार करके उस ठेलेवाले ने जवान को सलाम किया और उसने ठेलेवाले का कन्धा थपथपा कर उसे विदा किया।

उस जवान का काम यातायात को नियंत्रित करना है,पर जिस सहजता से उसने उस ठेले वाले की मदद की उसे देखने वाला कोई नहीं था।ऐसे ही कई वाकये हमारे चारों तरफ रोज़ होते हैं,जब यातायात पोलिस के जवान कभी किसी वृद्ध को सड़क पार करवाते है तो कभी,किसी मामूली से दिखने वाले इंसान की किसी और तरह से मदद करते हैं। यदि किसी चौराहे पर जवान न हो तो लोगो की आँखों में तुरंत खटकता है पर जब वे अन्य तरह से लोगो की मदद करते है तो कोई नहीं देखता।
क्या हम सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक चीजे ही देखने के आदि नहीं होते जा रहे है?
क्या हम किसी सकारात्मक बात या काम की सराहना करते है?
ऐसे ही कई उदहारण हमारे चारों और बिखरे पड़े है,जहाँ चाहे सरकारी अधिकारी हो या प्राइवेट जब वे अपने कार्यक्षेत्र पर अपनी निर्धारित ड्यूटी से अलग कोई काम करते है जिससे लोगो की मदद हो ,कार्य सुचारू रूप से चले पर उनकी सराहना के लिए लोगो को शब्द ढूंढे नहीं मिलते।आखिर वे भी इंसान है,हमीं में से एक है जब हम अपनी सराहना से उत्साहित होते है तो दूसरों की सराहना में कंजूसी क्यों?
लोगो की सराहना कीजिये उन्हें उत्साहित कीजिये ताकि वे और जोश से अच्छे काम करने में जुट जाए.आखिर इसी तो तो स्वस्थ समाज की रचना होनी है
.

14 comments:

  1. bahut sahi kahaa ek dusre ke sahyog se hi ye sansaar hai

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  2. इन सकारात्मक नजरो को दिख पड़ा उसका बयान भी खूब था....... काश ऐसी ही नज़ारे अब हर तरफ बसें....

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  3. लोगो की सराहना कीजिये उन्हें उत्साहित कीजिये ताकि वे और जोश से अच्छे काम करने में जुट जाए.

    सही में आज ऐसी सकारात्मक दृष्टि की जरुरत है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ताऊ डाट इन
    ताऊजी डाट काम

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  4. नकारात्मक देखने वाले भला सकारात्मक कब देख पाते हैं? गलतियाँ ढूढने वाले तो पग पग पर हैं अच्छाईयाँ कम ही देख पाते हैं.
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  5. हां ज़रूरत इसी बात की है कि अपनी ड्यूटी से अलहदा, इन्सानियत का सबूत दिया जाये. सुन्दर पोस्ट.

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  6. क्या हम सिर्फ और सिर्फ
    नकारात्मक चीजे ही देखने के आदि नहीं होते जा रहे है?

    bilkul sahi sawaal hai aapka,,,
    haalanki achchaaee hamaare aas-paas hi hai
    bs,,zaroorat hai use pehchaan`ne ki,,,aur
    sammaan dene ki .

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  7. पहली बार आपके ब्लॉग पर आई अच्छा लगा. सराहना करना तो जरुरी है पर करते कितने लोग हैं.

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  8. KAVITA JI AAP NE SHAHI LIKHA HAI.KAI BAR HUM BHI ES TARAH SE KISI KI MADAD KARTE HAI TAB DIN KO EK ANJANA SA SUKUN MILTA HAI.KABHI-KABHI JAB LOG OFFICE MAIN KAHA KAR JATE HAI KI AAP NE HAMARI BAHUT MADAD KI HAI TAB ESA LAGTA HAI KI HIGHER POST PER KAM KARNE KA SUKUN MILTA HAI.

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  9. dusron ke prti samvednshil hona sabke hisse me nhi aata ,yh khchchh log hi kar pate hain...sunder rchna ...

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  10. kavita ji iss duniya mein sdbhav gaya nahi hai... aisa hi wakiya mere saath bhi hua tha jab dillie ke bheed bhad wali sadak par meri car pucture ho gai thee aur muhe teji se tyre badalna nahi aata tha... traffic wale ne meri bahut madad ki aur bahut aatmiyata ke saath.. main unhe aaj tak nahi bhoola hoon.. badhiya rachna ke liye badhai !

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  11. kabita jee aap ne mera blog pada mujhe achcha laga maine aap ke prstutee pada achcha laga maine aap ka blog fallow kiya hai aap vigyan kee naee jan kaaree ke liye mera blog fallow kar sakatee hai thata apane sujav de sakatee hain

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  12. पोस्ट से एकदम सहमत!
    ऐसे पुलिस वाले मैने भी कई देखे हैं।

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