वह उचकती जा रही थी
अपने पंजों पर .
लहंगा चोली पर फटी चुनरी
बमुश्किल सर ढँक पा रही थी
हाथ भी तो जल रहे होंगे .
माँ की छाया में
छोटे छोटे डग भरती ,
सूख गए होंठों पर जीभ फेरती ,
माँ मुझे गोद में उठा लो
की इच्छा को
सूखे थूक के साथ
हलक में उतारती .
देखा उसने तरसती आँखों से मेरी और ,
अपनी बेबसी पर चीत्कार कर उठा .
चाहता था देना उसे
टुकड़ा भर छाँव
पर अपने ठूंठ बदन पर
जीवित रहने मात्र
दो टहनियों को हिलते देख
चाहा वही उतार कर दे दूँ उसे
न दे पाया .
जाता देखता रहा विकास की राह पर
एक मासूम सी कली को मुरझाते हुए .
अपने पंजों पर .
लहंगा चोली पर फटी चुनरी
बमुश्किल सर ढँक पा रही थी
हाथ भी तो जल रहे होंगे .
माँ की छाया में
छोटे छोटे डग भरती ,
सूख गए होंठों पर जीभ फेरती ,
माँ मुझे गोद में उठा लो
की इच्छा को
सूखे थूक के साथ
हलक में उतारती .
देखा उसने तरसती आँखों से मेरी और ,
अपनी बेबसी पर चीत्कार कर उठा .
चाहता था देना उसे
टुकड़ा भर छाँव
पर अपने ठूंठ बदन पर
जीवित रहने मात्र
दो टहनियों को हिलते देख
चाहा वही उतार कर दे दूँ उसे
न दे पाया .
जाता देखता रहा विकास की राह पर
एक मासूम सी कली को मुरझाते हुए .