सुबह छः बजे मोबाईल बजा .पुष्पा का फ़ोन था,मधुसुदन जी मधु की मम्मी की तबियत अचानक ख़राब हो गयी है .हम उन्हें लेकर अस्पताल में है .
मैंने अस्पताल का नाम पता पूछा और तुरंत वहां पहुंचा. देखा चारों सहेलियां वहीँ थीं .
क्या हुआ?
सुबह ४ बजे उन्हें अस्थमा का अटेक आया. अभी आई सी यु में हैं आरती ने बताया .
तभी डॉक्टर ने बताया की उनकी हालत स्थिर है दो घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट कर सकते हैं .
सबने राहत की सांस ली.
मधु ने पुष्पा और माला को कहा की अब तुम घर जाओ तुम्हे स्कूल जाना है आरती और मधुसुदन हैं यहाँ .
दोनों ने विरोध किया तो वह उन्हें प्यार से डपटते हुए बोली अरे!ऐसी जरूरतें तो पड़ती ही रहेंगी. तब हम सब को बारी बारी से छुट्टियाँ लेनी होगी. आज पांच छुट्टियाँ बिगाड़ने से क्या फायदा ? आरती के ऑफिस टाइम से पहले उसे भी भेज दूँगी उसके बैंक में ओडिट चल रहा है शाम को सब बारी बारी रहेंगे.
कितनी तैयार है मधु जिंदगी के हर उतार -चड़ाव के लिए. में बस देखता और सोचता ही रहा.
मम्मी को वार्ड में शिफ्ट कर दिया था. मधु ने आरती को भी भेज दिया था फिर मेरी ओर मुखातिब हुई .
न मुझसे जाने के लिए न कहना ,और हाँ मुझे छुट्टी नहीं लेनी पड़ती में यही से सब हेंडल करता रहूँगा फ़ोन है ना मैंने कहा .
मधु हंस दी.
दिन में केन्टीन में खाना खाते हुए मैंने मधु से पूछा तुम्हे डर नहीं लगता? किस बात का?हाथ का कोर हाथ में ही रखे उस ने मेरी आँखों में झांकते हुए पूछा .
में कुछ नहीं बोला.
हंस दी मधु . डरना क्या है ये तो जिंदगी है .माँ की उम्र ७५ से ऊपर है .ये तो चलता ही रहेगा .
उस दिन मंदिर के बाद आज पहली बार में और मधु अकेले मिल रहे थे . में मधु से बहुत कुछ पूछना चाहता था पर पूछ ना सका.
मम्मी अब ठीक थीं डॉक्टर ने घर ले जाने की इजाज़त दे दी थी .
मधु ने मम्मी से मेरा परिचय करवाया .मेरा नाम सुनकर उनके चेहरे पर एक शिकन सी आयी. और उन्होंने मधु को प्रश्नवाचक दृष्टी से देखा .
मधु ने उनके कंधे को धीरे से दबाया और बोली -हाँ मम्मी ये मधुसुदन हैं शाहपुर से अभी यहाँ तबादला हो कर आये है .आज सुबह से यहीं है अस्पताल में .अब चले?
उन्होंने असमंजस की सी स्थिति में सर हिलाया और चलने लगीं में अपने आप में गढ़ सा गया.
घर आकर मम्मी की सब व्यवस्था करके मधु सोफे में धंस गयी और गहरी सांस लेकर आँख बंद कर ली .
दिन भर मम्मी की तबियत और इलाज की जो चिंता उसने किसी पर प्रकट नहीं होने दी थी अब सब ठीक होने के बाद उस चिंता को अपने अंदर कैद किये रखने की थकावट उसके चेहरे पर थी
मुझे लगा अब मुझे चलना चाहिए मधु को भी अब आराम की जरूरत है पर उसे आँखें बंद किये बैठे देख कर उसे जगाना मुझे अच्छा नहीं लगा .
में यूं ही कमरे का मुआयना करने लगा .
एक छोटा सा हालनुमा कमरा मधु की सुरुचि को प्रकट कर रहा था .एक शेल्फ में किताबें तो दूसरे में डी वी डी दीवार पर एक बड़ी सी सीनरी जिसमे सूखे पेड़ों के पीछे डूबता सूरज दिख रहा था. मुझे उस शाम की याद आ गयी . डाइनिंग टेबल के अगल बगल दो दरवाजे एक शायद किचन में और दूसरा बेडरूम में खुलता होगा .
तभी दरवाज़ा खुला तो मधु ने आँख खोली .माला और पुष्पा थीं .
मम्मी कैसी है अब?माला ने धीरे से पूंछा .
तब तक पुष्पा अंदर कमरे में झांक आयी .माला ने मधु को मीठा सा उलाहना दिया ,थक गयी न ?कहा था हम रुक जाते है पर नहीं खुद को बड़ा जवान समझती है न सब अकेले कर लेगी.
मधु के चेहरे पर मुस्कान आ गयी .अरे में आज भी तुम सबसे ज्यादा जवान हूँ और सब हंस दिए.
पुष्पा यार काफी पिला दे देख दूध पड़ोस में होगा ले आ .
काफी पीते हुए हलकी फुलकी बातें होती रही फिर में घर आ गया। क्रमश(आज ब्लॉग जगत में २ वर्ष पूरे हो गए कैसा रहा ये सफ़र इस बारे में बहुत कुछ कहना है लेकिन इस कहानी का सिलसिला न टूटे इसलिए वो फिर कभी. )
kahani per aapki pakad achhi hai
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग के जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ...कहानी अच्छी जा रही है...
ReplyDeletedhanyvad vanbhattji ..rashmiji aise hi housala banaye rakhiye..
ReplyDeleteकविता जी ..बहुत ही सारगर्भित सीरि याल चल रही है ... इसी तरह आगे बढ़ते रहिये ! धन्यबाद !
ReplyDeleteब्लागिंग की वर्षगांठ पर विशेष बधाईयां । व्यस्तता में बीच की लिंक छूट गई हैं जिन्हें निरात से देख पाना ही सम्भव हो सकेगा ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी ये कहानी! ब्लोगिंग की वर्षगांठ पर आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
बहुत ही अच्छा लिखती हैं आप ... ब्लॉग जगत में दो वर्ष पूर्ण होने पर बधाई .... ।
ReplyDeleteshandaar...ab next episode padhun!!
ReplyDeleteब्लागिंग की वर्षगांठ पर बधाई .... अच्छी लगी कहानी ...
ReplyDeleteकविता जी
ReplyDeleteब्लागिंग की वर्षगांठ पर विशेष बधाईयां