बाइस साल पहले मैंने जब इस नई बनी कालोनी में मकान बनाया था मेरे बगल के दो प्लाट खाली थे। बारिश में मैंने देखा कि इन प्लाट पर आने वाला बारिश का पानी तीन-चार घंटे में जमीन में समा जाता है। बारिश के मौसम में वे प्लाट डेढ़ दो फीट भर जाते और खाली हो जाते। हर बारिश में ऐसा चार पाँच बार होता।
मैंने उन प्लाटस् पर कभी गाड़ी नहीं खड़ी की। उन पर लगी झाड़ियां भेड़ बकरियों ने खाईं लेकिन उन्हें कटवाया नहीं। पूरे साल विशेषकर बारिश के पहले उन पर हवा में उड़कर आई प्लास्टिक की पन्नियों को इकठ्ठा करके हटाया।
कुछ सालों में आसपास मकान और सड़क बनने के कारण वहाँ पानी की आवक कम हो गई। हमने फावडे से नालियाँ बनाकर सड़क का पानी इन दो प्लाट पर उतारा।
यहाँ तक कि अपने ट्यूबवेल की रीचार्जिंग के अलावा पोर्च का पानी भी इन खाली प्लाट में उतार दिया।
हर साल तीन-चार बार डेढ़ दो फीट पानी भरने का सिलसिला पिछले बाईस साल से जारी है।
एक दिन मैंने हिसाब लगाया तीस पचास के दो प्लाट मतलब तीन हजार स्क्वेयर फीट में हर साल एवरेज पाँच फीट पानी भरा और जमीन में चला गया। मतलब तीन हजार स्क्वेयर फीट का कुंआ जिसमें बाईस साल में 110 फीट पानी जमा हुआ। आगे भी जबतक मकान नहीं बनेगा इसकी ऊंचाई बढ़ती रहेगी।
सोचती हूँ इतना पानी मेरे दो बच्चों के पूरे जीवन भर के लिए पर्याप्त होगा। हर बार जब भी बारिश होती है और खाली प्लाट भरते हैं मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ इस पानी को मेरे बच्चों के अकाउंट में लिख देना प्रभु।
बच्चे अपने लिये पैसा तो खुद कमा लेंगे लेकिन हवा और पानी हमें उनके लिए छोड़ कर जाना होगा।
इस बारिश आप भी अपने बच्चों के अकाउंट में पानी जमा करना शुरू करिये। अपने घर के आसपास न हो तो सामने की जगह पर करिये कालोनी के किसी भी खाली प्लाट पर करिये अकेले नहीं तो सामूहिक रूप से करिये। यकीन मानिये ऊपर वाले का हिसाब किताब बहुत पक्का होता है। आपकी बचत आपके बच्चों को ही मिलेगी।
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