कुछ समय पहले घर के पास एक खंबे पर बड़ा सा हैलोजन लगा है। एक दिन दोपहर में बाहर जाते समय देखा हैलोजन चालू था।(मेरे घर के सामने बड़ा सा नीम का पेड़ है इसलिए न सड़क दिखती है न लाइट।) थोड़ा ध्यान से देखा तो पाया कि डायरेक्टर तार जोड़ कर चालू कर दिया गया है और वह दिन रात जल रहा है।
दूसरे दिन आसपास देख कर उसका फोटो खींच लिया। (कोई फोटो खींचते देख लेता और शिकायत करने पर वह बंद हो जाता तो मोहल्ले में मेरे नाम के कसीदे पढे जाते।)
कल नगर निगम के एप पर उसकी शिकायत कर दी। आज दिन में फोन आया मैडम कौन-सी लाइट चालू करना है?
मैंने बताया भैया चालू नहीं करना बंद करना है दिन रात जल रही है उसकी व्यवस्था करो।
शाम को फिर फोन आया मैडम उसे स्ट्रीट लाइट फीडर पर डाल दिया है और टाइमर लगा दिया है। अब सुबह बंद हो जायेगा शाम को चालू हो जायेगा।
बात छोटी सी है आसपास रहने वाले सभी लोगों को दिख रहा था लेकिन किसी ने उसकी व्यवस्था करवाने के लिए नहीं सोचा क्योंकि उसका बिल उनके यहाँ नहीं आ रहा था। लोग यह क्यों नहीं समझते कि जब बिजली के खपत के मुताबिक बिल वसूली नहीं होती वह कमर्शियल लाॅस कहलाता है और इसलिए बिजली के दाम बढ़ते हैं।
कविता वर्मा
दूसरे दिन आसपास देख कर उसका फोटो खींच लिया। (कोई फोटो खींचते देख लेता और शिकायत करने पर वह बंद हो जाता तो मोहल्ले में मेरे नाम के कसीदे पढे जाते।)
कल नगर निगम के एप पर उसकी शिकायत कर दी। आज दिन में फोन आया मैडम कौन-सी लाइट चालू करना है?
मैंने बताया भैया चालू नहीं करना बंद करना है दिन रात जल रही है उसकी व्यवस्था करो।
शाम को फिर फोन आया मैडम उसे स्ट्रीट लाइट फीडर पर डाल दिया है और टाइमर लगा दिया है। अब सुबह बंद हो जायेगा शाम को चालू हो जायेगा।
बात छोटी सी है आसपास रहने वाले सभी लोगों को दिख रहा था लेकिन किसी ने उसकी व्यवस्था करवाने के लिए नहीं सोचा क्योंकि उसका बिल उनके यहाँ नहीं आ रहा था। लोग यह क्यों नहीं समझते कि जब बिजली के खपत के मुताबिक बिल वसूली नहीं होती वह कमर्शियल लाॅस कहलाता है और इसलिए बिजली के दाम बढ़ते हैं।
कविता वर्मा
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जीवन का गणित - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteThank you
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 10 मई 2018 को प्रकाशनार्थ 1028 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
Thank you ...
Deleteसही कहा आपने, अधिकतर; तो हमें क्या सोच आगे बढ़ लेते हैं ! जागरूकता सभी में आ जाए तो दसियों दिक्कतें अपने-आप ख़त्म हो जाएं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा किया , प्रसंसनीय |
ReplyDeleteवर्तमान समय मे कम लोग ही रह गए हैं जो भविष्य का या उन मुद्दों का सोचे जिसमे सबका नुकसान या सबकी भलाई हो,बस खुद को दिक्कत न आनी चाहिए भले ही कोई सार्वजनिक परेशानी कल व्यक्तिगत होने वाली हो लोग व्यक्तिगत स्तर पर परेशान होक ही कदम उठाना फायदे की बात समझते हैं,कविता जी आपको शुभकामनाये आप इन सोचों से भिन्न सोच रखती हैं
ReplyDeleteअच्छी सोच है...जागरूकता हर इंसान की जरूरत है पर कोई जागरूक या ये काम करने को तैयार नहीं।
ReplyDeleteसीख देता हुआ साहित्य सृजन।
डिरेक्टर शब्द की जगह शायद डायरेक्ट शब्द आवे.