rajat prapat...sorry ise seedha nahi kar pa rahi hu. कैप्शन जोड़ें |
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दूसरे दिन सुबह तैयार होकर सबसे पहले मेडिकल स्टोर जा कर नी कैप लिया फिर पहुंचे बायसन लोज .यह पचमढ़ी की सबसे पहली इमारत है. जिसे एक ब्रिटिश अधिकारी ने बनवाया था.(सॉरी उसका नाम भूल गयी ).यहाँ के जंगलों में इंडियन गौर या बायसन पाए जाते है इन्ही के नाम पर इस इमारत का नाम रखा गया. अब ये एक संग्रहालय है .यहाँ लाल मुंह के बन्दर बहुत है इसलिए हाथ में कुछ भी लटका कर नहीं घूम सकते यहाँ तक की पर्स भी नहीं .
बायसन लाज के बाद पहुंचे रजत प्रपात.इसे बी फाल के नाम से भी जाना जाता है. लगभग १०० फीट की ऊंचाई से गिरते झरने का पानी चाँदी की तरह चमकता है शायद इसीलिए इसका नाम रजत प्रपात है.यहाँ जाने के लिए लगभग २ किलोमीटर का रपट वाला रास्ता है जिसे अभी पक्का कांक्रीट का बनाया जा रहा है .यह जहाँ ख़त्म होता है वहां पहाड़ी नदी बहती है जो पहाड़ से नीचे गिर कर प्रपात बनती है. यहाँ रुक कर थोड़ी देर सुस्ताये बच्चे अन्य टीचर्स के साथ आगे बढ़ चुके थे. हमने यहाँ रुक कर नीबू पानी का आनंद लिया.
ऊपर से ही हमने ६ वनरक्षक ले लिए थे जो सारे रास्ते बच्चों के साथ चलते हुए उनका मार्गदर्शन कर रहे थे,इसलिए हम अपनी चाल से आराम से चल सकते थे वैसे भी अन्य टीचर्स साथ थे ही. यहाँ से रास्ता खड़ा पहाड़ी रास्ता था जिसमे कच्ची सीढियां बनी थी. ऊपर से देखने पर ये सीधा गहरी खाई सामान था. इस पर उतरते हुए दम फूल गया. घुटना कैप के सपोर्ट के बिना काम नहीं कर पाता इसलिए जहाँ जहाँ रुके मैंने खुद की समझदारी के लिए अपनी पीठ थपथपाई .दशहरे की छुट्टियाँ होने से कई सारे स्कूल कॉलेज के बच्चे आये थे.हमें ऊपर
चढ़ते केरल का स्काउट का दल भी मिला. इतने कठिन रास्ते के बाद जब नीचे पहुँच कर जल प्रपात के दर्शन किये तो मन प्रसन्न हो गया. रास्ते में कई बार साथी कहते रहे की नहीं उतरना था बीच में ही रुक जाते लेकिन नीचे आ कर लगा की ठीक ही किया.बच्चे ५-५ के ग्रुप में झरने के नीचे जा रहे थे.वहां स्पोर्ट्स टीचर उन्हें सँभालने के लिए खड़े थे.इतनी ऊंचाई से गिरता पानी ठंडी हवा के संपर्क में आ कर बहुत ठंडा हो गया था जिसमे १० मिनिट से ज्यादा नहीं रहा जा सकता था. कई बच्चे तो भीड़ ओर पानी की ऊंचाई देख कर नहाये ही नहीं. हमने यहाँ कुछ फोटो लिए ओर नहा कर तैयार हो गए बच्चों को ले कर वापस चढ़ाई शुरू की.
पहाड़ों पार चढाने का सबसे अच्छा तरीका होता है छोटे छोटे कदमों से चढ़ा जाये,यानि एक दम किसी ऊँची सीढ़ी पर चढ़ने के बजाय साइड के छोटे पत्थरों से कई स्टेप्स बना लीं जाएँ .इस तरह ऊपर चढना उतरने से ज्यादा आसान लगा. बीच की नदी पर सबने थोडा आराम किया इतनी मेहनत के बाद बच्चे थक चुके थे उनके लिए नाश्ते ओर कोल्ड ड्रिंक का इंतजाम था .आगे का रास्ता रपट वाला था यहाँ भी साथ में पहाड़ी नदी चल रही थी .दूर दूर फैले हरे भरे पहाड़ बहुत लुभावने लग रहे थे. बच्चे आगे बढ़ गए थे ओर हम उनके कुछ ही पीछे फोटो ग्राफी करते चले जा रहे थे. जिप्सी तक पहुँचते सभी थक गए थे बच्चे बहुत भूखे भी हो गए थे होटल पहुंचते ही सभी ने भरपेट भोजन किया. फिर बच्चे भी कुछ देर सो गए.
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चढ़ते केरल का स्काउट का दल भी मिला. इतने कठिन रास्ते के बाद जब नीचे पहुँच कर जल प्रपात के दर्शन किये तो मन प्रसन्न हो गया. रास्ते में कई बार साथी कहते रहे की नहीं उतरना था बीच में ही रुक जाते लेकिन नीचे आ कर लगा की ठीक ही किया.बच्चे ५-५ के ग्रुप में झरने के नीचे जा रहे थे.वहां स्पोर्ट्स टीचर उन्हें सँभालने के लिए खड़े थे.इतनी ऊंचाई से गिरता पानी ठंडी हवा के संपर्क में आ कर बहुत ठंडा हो गया था जिसमे १० मिनिट से ज्यादा नहीं रहा जा सकता था. कई बच्चे तो भीड़ ओर पानी की ऊंचाई देख कर नहाये ही नहीं. हमने यहाँ कुछ फोटो लिए ओर नहा कर तैयार हो गए बच्चों को ले कर वापस चढ़ाई शुरू की.
पहाड़ों पार चढाने का सबसे अच्छा तरीका होता है छोटे छोटे कदमों से चढ़ा जाये,यानि एक दम किसी ऊँची सीढ़ी पर चढ़ने के बजाय साइड के छोटे पत्थरों से कई स्टेप्स बना लीं जाएँ .इस तरह ऊपर चढना उतरने से ज्यादा आसान लगा. बीच की नदी पर सबने थोडा आराम किया इतनी मेहनत के बाद बच्चे थक चुके थे उनके लिए नाश्ते ओर कोल्ड ड्रिंक का इंतजाम था .आगे का रास्ता रपट वाला था यहाँ भी साथ में पहाड़ी नदी चल रही थी .दूर दूर फैले हरे भरे पहाड़ बहुत लुभावने लग रहे थे. बच्चे आगे बढ़ गए थे ओर हम उनके कुछ ही पीछे फोटो ग्राफी करते चले जा रहे थे. जिप्सी तक पहुँचते सभी थक गए थे बच्चे बहुत भूखे भी हो गए थे होटल पहुंचते ही सभी ने भरपेट भोजन किया. फिर बच्चे भी कुछ देर सो गए.
शाम को हमें रीच गढ़ ओर धूप गढ़ जाना था.रीच गढ़ बड़ी बड़ी चट्टानों से मिलकर बनी बहुत बड़ी गुफा है यहाँ आप प्रकृति को इसके विराट रूप में देखते हैं .इस गुफा में एक स्थान पर पानी की एक बूँद गिरती है लेकिन ऊपर पानी कहीं नज़र नहीं आता. इस स्थान को आप फोटोस के माध्यम से घूमिये.
धूपगढ़ मध्यप्रदेश की सबसे ऊँची चोटी है.यहाँ से सूर्योदय ओर सूर्यास्त देखने की बात ही ओर है.यहाँ जाने के लिए हर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है. यहाँ जाने का रास्ता बहुत ही खतरनाक है कहीं कहीं तो ३०-४० डिग्री की चढाई है. ऊपर जाने का एक निश्चित समय होता है जिसके बाद ऊपर जाने वाली गाड़ियों को परमिशन नहीं होती क्योंकि गाड़ियाँ नीचे आना शुरू कर देती हैं. रास्ता इतना चौड़ा नहीं है की दो गाड़ियाँ आसानी से क्रोस हो सकें . हम बिलकुल टाइम से ही पहुंचे थे फोटोग्राफी करने के बाद लगभग दौड़ते हुए हम सन सेट पॉइंट पहुंचे. बादलों की ओट ले कर सूरज अपने दिन भर का सफ़र समाप्त करने से
पहले अपना शांत सौम्य रूप धारण कर चुका था. हम सब मंत्र मुग्ध से सूर्य की आभा निहार रहे थे.इतनी ऊँची चोटी पर यह स्थान एक विशाल मैदान सा है. यहाँ सेकड़ों लोग जमा थे इसलिए हम थोड़ी देर रुक गए. बच्चों ने कुछ खाया पिया फिर हम अपनी जिप्सी में सवार हो गए. ये हमारा आखरी पड़ाव था. कल सुबह हमें वापस लोटना है.बच्चों को होटल में छोड़ कर होटल का मेन गेट लगवा कर एक साथी टीचेर की
तैनाती कर हम सब पास ही रजिस्टर्ड आयुर्वेदिक दुकान पर यहाँ का शहद ओर आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ लेने पहुंचे. बच्चों को रात में ही सामान पैक करने को कह दिया .रात करीब ९ बजे हमने उनके कमरे चेक किये जिससे कोई सामान पैक होने से रह न जाये. सुबह हमें ६ बजे निकलना है. रात में बच्चों ने फिर डी जे का आनंद लिया खूब डांस किया .सुबह सबको ५ बजे उठा दिया चाय दूध पी कर बच्चों ने अपना सामान कमरों से बाहर निकाला ओर हम सब टीचर्स फिर उनके कमरे का निरिक्षण करने पहुंचे ताकि उनका कोई सामान छूट न जाये.
घाट में मटकुली से लगभग १५ किलोमीटर पहले एक स्थान आता है" देनवा दर्शन " यहाँ से पचमढ़ी में बहने वाली देनवा नदी के दर्शन किये जाते हैं .यह एक विशाल घाटी है जिसके दोनों ओर सीधे खड़े पहाड़ है ओर नीचे लगभग समतल मैदान में नदी बहती है. गर्मियों में यह दुबला जाती है लेकिन इस समय यह अपने पूरे यौवन पर थी. यह घाटी अमेरिका की किसी खूबसूरत घाटी सी दिखती है .यहाँ भी बन्दर बहुत है.घाटी देखने के लिए सड़क पार करना था ओर सुबह के समय गाड़ियों की आवक बहुत थी इसलिए बच्चों को गाड़ी (बस ) में रहने को कह कर ओर बस के सारे कांच बंद करवा कर में नीचे उतरी ओर इस दृश्य को अपनी आँखों ओर कैमरे में कैद कर पाती इसके पहले ही बच्चों का शोर सुनाई दिया .भाग कर बस में चढ़े तो देखा किसी बन्दर ने कांच पर पत्थर फेंक दिया था ओर कांच फूट चुका था कांच की एक किरच एक बच्चे की नाक पर लगी ओर वह खूनखान हो गया. किसी तरह बच्चों को चुप करवाया ,बंदरों को भगाया ओर कांच की सफाई करवाई .लेकिन इसके बाद फिर फोटो लेने जाने का मन ही नहीं हुआ .घाट नीचे मटकुली में नाश्ता किया ओर रास्ते में खाना नाश्ता करते सोते जागते बोरे होते ,बतियाते बेहद थके हुए लेकिन एक अच्छी यात्रा की समाप्ति कर लगभग रात ९ बजे इंदौर पहुंचे.
वैसे तो पचमढ़ी में ओर भी कई दर्शनीय स्थान है लेकिन छोटे बच्चों के साथ बहुत बिज़ी कार्यक्रम नहीं बन पाता. इसलिए कुछ स्थान आपके घूमने के लिए छोड़ दिए है.उम्मीद है आप लोग जल्दी ही इस स्थान को देखने जायेंगे.
ओर हाँ ब्लॉग पर आते रहिएगा क्योंकि पचमढ़ी यात्रा के बाद बहुत सारी बातें चिंतन मनन के लिए बाकी रह गयी.उन्हें अगली पोस्ट में...
घुमाते रहो हम भी आपके साथ-साथ ही घूमे जा रहे है।
ReplyDeleteपचमढ़ी की यात्रा कराने के लिए आभार
ReplyDeleteअपनी पचमढ़ी यात्रा की याद ताजा हो आई, और बहुत सी यादें तो आज भी जीवंत हैं।
ReplyDeleteएक साथ समूचा यात्रा वृतांत पढ़ गया.. बहुत सुन्दर... बहुत बढ़िया...
ReplyDeletepadhkar achchha laga.
ReplyDeleteपचमढ़ी तो हमें बहुत प्रिय है. दो बार भ्रमण कर चुके हैं वहां का.
ReplyDeletebadhiya hai agle baar hame panchmarhi jaane se pahle bas ek printout yahan se nikalna hoga:)
ReplyDeleteचल रही हूं मैं भी आप सबों के साथ .. बढिया लग रहा है पढना .. अगली कडी का इंतजार है !!
ReplyDeleteचित्र देखकर यादें ताज़ा हो गयीं, आभार!
ReplyDeleteपचमढ़ी की यात्रा कराने के लिए आभार
ReplyDeleteयात्रा का रोचक, मनमोहक वर्णन.
ReplyDeleteपचमढ़ी तो हम भी गये हैं एक बार। अभी ठीक से नहीं पढ़ा यह आलेख।
ReplyDeleteबहुत हीं रोचक वर्णन ! पचमढ़ी की सैर मुफ्त में हीं कर ली मैंने | इसके लिए कोटिश: धन्यवाद |
ReplyDeleteपचमढ़ी के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी पढ़ने को मिले
ReplyDeleteमैं भी २ बार गयी और एक ब्लॉगपोस्ट ७ जून १४ को "पचमढ़ी की वादियों में" में लिखी लेकिन मैं ऑफिस ट्रेनिंग की वजह से बहुत कुछ जानकारी हासिल नहीं कर पायी थी।
links hai http://kavitarawatbpl.blogspot.in/2014/06/blog-post.html
पचमढ़ी की यात्रा कराने के लिए आभार
ReplyDeleteFree ebook publisher india