अन्ना हजारे जी का आन्दोलन देश के हर घर का आन्दोलन बन गया है जिससे पता चलता हैकी सच में लोग भ्रष्टाचार से किस कदर त्रस्त है. इस देश की आबो हवा में बेईमानी इस तरह रच बस गयी है और बेईमानी करने के लिए लोग दिमाग का किस तरह उपयोग करते है इसका एक उदहारण आपके सामने लाना चाहती हूँ .
ये है बाज़ार में बिकने वाले फेस वाश जो अधिकतर दुकानों में उलटे रखे होते है याने की ढक्कन नीचे .ये पूरे भरे दिखाई देते है कीमत यही कोई ५५-६० रुपये के आसपास. निश्चित तौरपर इस कीमत पर भी कम्पनी इसपर मुनाफा कमाती होगी . इतनी बड़ी ट्यूब और कीमत ५५- ६० ठीक है चहरे की सुन्दरता के लिए खर्च की जाती है.( वैसे ट्यूब में उत्पाद वजन में भरा जाता है).
में तो अंदर से प्रोडक्ट के रंग का पैंट किया हुआ है.इसमें नीला ट्यूब बिलकुल खाली है जबकि नारंगी ट्यूब में थोडा सा फेस वाश बाकी है.

अब प्रश्न ये है की :
अब प्रश्न ये है की :
जब प्रोडक्ट वजन से बेचा जा रहा है फिर इसकी ट्यूब इतनी बड़ी बनाए की क्या जरूरत है???
अगर बड़ी है तो इसे अंदर से पैंट करने की क्या जरूरत है??
क्या बड़ी ट्यूब में भरी हवा और ट्यूब का वजन भी प्रोडक्ट के वजन में शामिल है ????
कॉस्मेटिक्स पर वैसे भीसबसे ज्यादा मुनाफा कमाया जाता है फिर इस तरह से प्रोडक्ट की पैकेजिंग क्या सवाल खड़े नहीं करती???? जरा देखिये और सोचिये.......
क्या बड़ी ट्यूब में भरी हवा और ट्यूब का वजन भी प्रोडक्ट के वजन में शामिल है ????
कॉस्मेटिक्स पर वैसे भीसबसे ज्यादा मुनाफा कमाया जाता है फिर इस तरह से प्रोडक्ट की पैकेजिंग क्या सवाल खड़े नहीं करती???? जरा देखिये और सोचिये.......