Friday, January 27, 2017

इंतज़ार


जब कहानियाँ लिखना शुरू किया था तब यह कहानी लिखी थी। समय के साथ लेखनी में कुछ परिपक्वता आई तो लगा इसे फिर से लिखना चाहिए। एक प्रयास किया है पढ़िए और बताइये कैसी लगी ?


युवा उम्र का आकर्षण कब प्रेम में बदल साथ जीने मरने की कसमे खाने लगता है बिना परिवार की राय जाने या अपनी जिम्मेदारियों को समझे। यथार्थ से सामना होते ही प्रेम के सामने एक अलग ही व्यक्तित्व नज़र आता है जिससे नज़रें मिलाना खुद के लिए ही मुश्किल होने लगता है। प्रेम में किसी को तो गहरी चोट लगती है और उसके निशान सारी जिंदगी के लिए सीने पर अंकित हो जाते हैं। उम्र के किसी पड़ाव पर जब बिछड़े प्रेम से सामना होता है तब अतीत किसी आईने की तरह असली चेहरा दिखा देता है और उसका सामना करना कठिन होता है। एक तरफ प्रायश्चित करने का बोध होता है तो दूसरी तरफ प्रेम पाने की ललक। तब क्या फैसला होता है युवा मन सा या उम्र को सम्मान देते हुए फिर परिस्थितियों के अनुसार। जानना दिलचस्प होगा मेरी कहानी इंतज़ार में।

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Monday, January 23, 2017

मातृभारती कथा कड़ी आइना सच नहीं बोलता

मातृभारती पर हमारा साझा उपन्यास आइना सच नहीं बोलता प्रकाशित हुआ है जिसे 13 लेखिकाओं ने मिल कर लिखा है। दिल्ली पुस्तक मेले में इस का लोकार्पण किया गया जिसे बेहतरीन प्रासाद मिला। इसकी अब तक 20 कड़ी प्रकाशित हो चुकी हैं। मोबाइल पर मातृभारती एप डाउनलोड करके आप इसे पढ़ सकते हैं। यह पहला प्रयोग है जिसमे पूरा उपन्यास ई बुक के रूप में है और अलग अलग लेखिकाओं के द्वारा लिखा गया है।
http://matrubharti.com/book/6191/

http://matrubharti.com/book/6337/

http://matrubharti.com/book/6441/

http://matrubharti.com/book/6541/

मातृभारती ई बुक्स पोर्टल

दोस्तों मातृभारती ई बुक्स का एक पोर्टल है जिस पर मेरी कहानियाँ प्रकाशित की गई हैं। आप मोबाइल में मातृभारती एप डाउनलोड करके इन्हें पढ़ सकते हैं। मेरी कहानियों के अलावा भी हजारों लेखकों की लाखों कहानियाँ यहाँ मौजूद हैं। मेरी कहानी डर , यात्रा , दलित ग्रंथि , आसान राह की मुश्किल , हैण्ड ब्रेक , जंगल की सैर ( बाल कहानी ) और बेटी के नाम पत्र के लिंक नीचे दे रही हूँ। कृपया पढ़ें और अपनी राय जरूर दें।
http://matrubharti.com/book/4580/

http://matrubharti.com/book/4470/

http://matrubharti.com/book/4298/

http://matrubharti.com/book/6024/

http://matrubharti.com/book/5492/

http://matrubharti.com/book/4169/

मातृभारती के होम पेज पर आप जा सकते है http://matrubharti.com/#homepage  

Sunday, January 22, 2017

सुविधा

 
पार्क की उस बेंच पर वे दो लड़के हमेशा दिखते थे मोबाइल में सिर घुसाये दीन दुनिया से बेखबर। रमेश और कमल रोज पार्क में घूमने आते उन्हें देखते और मुंह बिचकाते ये नई पीढ़ी भी एकदम बर्बाद है। कभी-कभी उनका मन करता उन्हें समझायें कि इस तरह उनकी आंखें और दिमाग खराब हो जायेगा पर युवा पीढ़ी की बदमिजाजी झेले हुए थे इसलिए हिम्मत नहीं होती थी। 
उस दिन एक लड़के ने दूसरे को अपना मोबाइल दिखाते हुए कुछ पूछा तो रमेश जी के कान खड़े हो गए। उन्होंने मोबाइल में देखना चाहा पर देख न पाये। कमल बाबू की तरफ देखा वह भी अचरज में थे। रहा न गया तो उस लड़के से पूछ ही लिया 'आप लोग मोबाइल में क्या करते रहते हो और अभी आप किस बारे में बात कर रहे थे।
लड़के ने उन दोनों को देखा फिर एकदूसरे को देखते हुए बोले हम पावर ब्रेक के मैकेनिज्म को पढ कर समझने की कोशिश कर रहे हैं। गरीब और स्वर्ण परिवार से होने के कारण कालेज में एडमिशन नहीं ले पाये पर हमारे दोस्त कालेज में हैं वे लेक्चर के वीडियो हमें भेज देते हैं जिन्हें देखकर हम सीखते हैं और एक गैराज में काम करते हुए प्रेक्टिस करते हैं। कभी-कभी इंटरनेट से भी लेक्चर डाउनलोड कर लेते हैं।
रमेश जी बहुत प्रभावित हुए फिर बोले लेकिन बिना डिग्री के तुम कहीं नौकरी तो नहीं पा सकते।
यह सुनकर वे दोनों मुस्कुराने लगे हां नौकरी तो नहीं पा सकते पर अपना गैरेज खोल कर दूसरों को नौकरी तो दे सकते हैं।
कविता वर्मा

अनजान हमसफर

 इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। ग...