मॉल में घूमते हुए चकाचौंध देखते उसके मुँह से एक आह निकल गई। कितना पैसा होता है इन शहर के लोगो के पास।
वैसे तो गाँव में भी कुछ लोगो के पास बहुत पैसा है। उसे गाँव के जमींदार के ठसके याद आ गए।
बचपन में एक बार उसने अपने दादाजी से पूछा था, "दादाजी जमींदारो के पास इतना पैसा कहाँ से आता है ?"
दादाजी ने ठंडी सांस भरकर जवाब दिया था ,"बेटा गरीबो का खून बहुत कीमती होता है अमीर चूसते हैं तो सोना बन जाता है। "खून सोना कैसे बनता है वह समझ न सका था।
माल से बाहर आते हुए उसकी नज़र सड़क किनारे रेहड़ी लगाये खड़े मैले कुचैले आदमी पर पड़ी। दो अौरतें उससे पाँच रुपये के लिए मोलभाव कर रही थीं। उसने एक नज़र मॉल पर डाली दूसरे ही पल खून का सोना बनना , समझते हुए वह शहरी जमींदारों की संख्या का अनुमान लगाता घर की ओर चल दिया।
कविता वर्मा
दो पीढ़ियों को तौलती लेख । सामायिक
ReplyDeletewah.... bahut hi sandar laghukatha hai badhai......
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