Saturday, December 12, 2020

उन आठ दिनों की डायरी 2

 वेटिंग हाॅल में बैठ कर अपने आसपास नजर डाली कहीं अकेले दुकेले तो कहीं समूह में बीमारों के परिजन बैठे थे। किसी के पास एक बैग झोला या लिपटा हुआ बिस्तर रखा था। दौड़ दौड़ कर इतनी थक गई थी कि आईसीयू में किसी नर्स को वाटर कूलर से पानी भरते देख उसकी बाॅटल मांग कर पानी पी लिया था ।आसपास देखते बैग में से पतिदेव का मोबाइल निकाला। जिस मोबाइल को वो कभी हाथ नहीं लगाने देते थे आज मय पासवर्ड के मेरे पास था। मोबाइल देते समय उन्होंने बाॅस को फोन लगाने का कहा था तो दवाइयाँ का इंतजार करते उनके बाॅस को भी फोन करके बता दिया था कि वे हास्पिटल में हैं। छोटी बेटी अभी सवा महीने पहले ही अमेरिका गई है और अभी रविवार को उसका सबमिशन है अभी उसे नहीं बताया जा सकता है नहीं तो वह घबरा जायेगी। अभी तक उसके ए ग्रेड हैं ग्रेड खराब हो जाएंगे। तुरंत बेटी को मैसेज किया कि उसे न बताया जाये। तभी पापाजी का फोन आ गया उन्हें भी बताया कि अभी छोटी बेटी को नहीं बताया इसलिए ग्रुप पर न डालें।

एक महिला ने मोबाइल पर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ लगा दिया था और वह खुद भी पाठ कर रही थीं। हालाँकि आवाज तेज थी लेकिन इस समय जब सभी असहाय थे ऊपर वाले का ही सहारा था इसलिए उनकी इस आस्था पर आस्था हो आई।

मैं अभी भी विश्वास नहीं कर पा रही थी कि क्या हुआ है और जो हुआ है क्या वह सच है? एक नवंबर को हम चार पांच फैमिली आउटिंग पर गये थे जहाँ पतिदेव ने लगभग डेढ़ घंटे बैडमिंटन खेला था उन्हें आज अचानक अटैक कैसे आ सकता है? तो क्या सुबह जो सीने को दबाते देखा था वह इसी अटैक का पूर्व संकेत था? क्या उस समय रोक लेती और वे थोड़ा आराम कर लेते तो यह अटैक नहीं आता? लेकिन बिना अटैक के हार्ट के अंदर कोई दिक्कत है कैसे पता चलता? तो क्या ये माइनर अटैक चेतावनी देने के लिए आया है? कल एंजियोग्राफी होगी तब पता चलेगा कि वास्तव में क्या हुआ है? हे ईश्वर सब ठीक हो कोई बड़ा नुकसान न हुआ हो।

इन्हीं सब विचारों के बीच कुछ और फोन किये और फिर याद आया कि घर में सभी लाइट बंद हैं। रात में यहाँ रुकने के लिए कुछ कपड़े चादर लाना होगा। मैं एक बार फिर अंदर आईसीयू में गई और सिस्टर से पूछा कि अभी कोई मेडिसिन तो नहीं चाहिये मैं थोड़ी देर में घर होकर आती हूँ।

घर आकर लाइट जलाई भगवान के आगे दीपक लगा कर हाथ जोड़कर देर तक खड़ी रही। क्या मांगूं क्या नहीं जो हुआ उसके लिए शिकायत करूँ या जो हो सकता था और होते-होते रह गया उसके लिए धन्यवाद दूँ । जब कुछ समझ न आये तब मौन समर्पण ही वह सब कह सकता है जो कहना चाहिए।

फोन चार्जिंग पर लगाने के लिए निकाला तो उसमें कई मिस काॅल थे। पतिदेव के आफिस में खबर फैल गई थी और जिसने भी सुना वही हक्का बक्का था कि ऐसा कैसे हो सकता है? सिर्फ मैंने ही नहीं किसी ने भी उन्हें कभी सुस्त थका हुआ या आराम करने के मूड में नहीं देखा था। एक अनजान नंबर से फोन आया आप वर्मा जी के यहाँ से बोल रही हैं? मैं उनका डाक्टर हूँ आपसे मुलाकात हुई नहीं थी तो सोचा आपसे बात कर लूँ ।क्या करते हैं वर्मा जी कहाँ पोस्टिंग है जैसे सवालों के बाद उन्होंने कहा कि आप तो रात में आराम से घर पर सोइये यहाँ हम लोग हैं देखभाल करने के लिए। वहाँ हाॅल में जमीन पर आप परेशान हो जाएंगी। कल सुबह हम एंजियोग्राफी करेंगे तब आप वहाँ रहें और जैसी भी स्थिति होगी उसके अनुसार तुरंत निर्णय लेना होगा कि एंजियोप्लास्टी करना है या नहीं। बात तो सही थी आगे क्या स्थिति बनने वाली है कौन जानता है? अभी दस पंद्रह दिन पहले ही फ्रोजन शोल्डर के लिए इंजेक्शन लगवाया है ऐसे में सारी रात बैठे बैठे सोना या जमीन पर लेटना!! और किसी नई मुसीबत के लिए अभी समय नहीं है। अभी तो मैं लाइट्स जलाने आई हूँ एक बार हास्पिटल जाकर इन्हें बता दूँ तब देखती हूँ।

मैंने खाना खाया और एक बैग में दो तीन चादर रखे कि कहीं रुकना हुआ तो वापस न आना पडे।

एक बार फिर आईसीयू में जाकर पतिदेव से मिली। अब तक हुए तीन चार ईसीजी की रिपोर्ट वहाँ रखी थीं जिसकी फोटो ली ताकि भाभी जो डाक्टर हैं उन्हें भिजवा सकूँ। उन्हें बताया कि रात को घर चली जाऊंगी। नर्स से पूछा कोई दवाई लाना है तो बता दें या फिर खुद मँगवा लें इंश्योरेंस है इसलिए पैसे नहीं देना है। गार्ड के पास अपना फोन नंबर लिखवाया और घर आ गई।

पतिदेव की गाड़ी में सुबह का खाना रखा था जो उन्होंने नहीं खाया था उसी में से खाना खाया और यही ख्याल आता रहा कि उन्होंने आज सुबह से कुछ नहीं खाया है।

रात में बेटी से बात की कुछ उसे समझाया कुछ खुद का मन हल्का किया और सो गई अगले दिन फिर एक अनजान स्थिति का सामना करने के लिए खुद को तैयार करते।

कविता वर्मा

#बायपास #bypass #minor_attack 

2 comments:

  1. अचानक से आई विपत्तियां ही दिखाती हैं रास्ते भी।

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