जब तुम लौटोगे
खिले फूल बेरंग हो मुरझा चुके होंगे।
अठखेलियाँ करती नदी थक कर
किनारों पर सर रखे सो गयी होगी।
तुम्हारे इंतज़ार में खड़ा चाँद
गश खाकर गिर पड़ा होगा
धरती और आसमान के बीच गड्ढ़ में।
आँखों की नमी सूख चुकी होगी
चहकते महकते कोमल एहसास
बन चुके होंगे पत्थर।
लेकिन तुम एक बार आना जरूर
देखने तुम्हारे बिना
कैसे बदल जाता है संसार।
हँसी यादों में गुम हो जाती है
ReplyDeleteरह जाता है केवल क्रंदन ....अच्छी रचना
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteउम्दा, बहुत प्रभावी प्रस्तुति !!! कविता जी
ReplyDeleterecent post : भूल जाते है लोग,
सुन्दर रचना, काफी दिनों बाद आपकी कविताई पढने मिली....
ReplyDeleteशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
ReplyDeleteतुम्हारे बिन गुजारे हैं...
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा भावपूर्ण कविता का सृजन,आभार.
ReplyDelete"जानिये: माइग्रेन के कारण और निवारण"
sundar ..bhaw se paripurn rachna..
ReplyDeleteसुंदर भावभरी रचना.अच्छी प्रस्तुति .बधाई .
ReplyDeleteऐसे भी किसी को बुलाया जाता है क्या ? :-)
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