कहे गए शब्दों की
अनकही गूँज में
अनकहे शब्दों के
गूँज गए अर्थ।
समझे गए अर्थों के
न समझे भावों में
न समझे अर्थों के
महसूस किये भाव।
सोचते तेरी बातों को
खोते तेरी यादों में
खोती तेरी यादों से
बिसरती तेरी बातें।
पकडे तेरे दामन को
छोड़ते मेरे हाथों से
छूट गए दामन से
थामे तेरी यादें।
अनकही .... कही सी
ReplyDeleteसोचते तेरी बातों को,
ReplyDeleteखोते तेरी यादों में,
खोती तेरी यादों से
बिसरती तेंरी बातें...
क्या कहने, बहुत सुंदर..
waah, bahut sundar..
ReplyDeleteछूट गए दामन से
ReplyDeleteथामे तेरी यादें.
बहुत उम्दा बात कही कविता जी.
छूट गए दामन से
ReplyDeleteथामे तेरी यादें.
....वाह! बहुत गहन भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
शब्द,भाव और यादों का खूबसूरत सफर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteकादम्बिनी में प्रकाशन की बधाई...
:-)
शुभकामनाएँ
सस्नेह
अनु
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteनदी के वेग सी सामान शीतल धार सी बहती हुई शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteपकडे तेरे दामन को
ReplyDeleteछोड़ते मेरे हाथों से
छूट गए दामन से
थामे तेरी यादें।
bahut sundar..
.
bahut achha likha hai, har anuchhed mein do shabdon ko lekar sunder shabd haar piroya hai.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बेहतरीन,शब्दों की गूढ़ प्रस्तुति,,,बधाई कविता जी,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...