Tuesday, January 8, 2013

अनकही

कहे गए शब्दों की 
अनकही गूँज में 
अनकहे शब्दों के 
गूँज गए अर्थ। 

समझे गए अर्थों के 
न समझे भावों में 
न समझे अर्थों के 
महसूस किये भाव।  

सोचते तेरी बातों को 
खोते तेरी यादों में 
खोती तेरी यादों से 
बिसरती तेरी बातें। 

पकडे तेरे दामन को 
छोड़ते मेरे हाथों से 
छूट गए दामन से 
थामे तेरी यादें।  

14 comments:

  1. सोचते तेरी बातों को,
    खोते तेरी यादों में,
    खोती तेरी यादों से
    बिसरती तेंरी बातें...

    क्या कहने, बहुत सुंदर..

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  2. छूट गए दामन से
    थामे तेरी यादें.

    बहुत उम्दा बात कही कविता जी.

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  3. छूट गए दामन से
    थामे तेरी यादें.

    ....वाह! बहुत गहन भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

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  4. शब्द,भाव और यादों का खूबसूरत सफर

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  6. बहुत सुन्दर....
    कादम्बिनी में प्रकाशन की बधाई...
    :-)
    शुभकामनाएँ
    सस्नेह
    अनु

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  7. नदी के वेग सी सामान शीतल धार सी बहती हुई शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

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  8. पकडे तेरे दामन को
    छोड़ते मेरे हाथों से
    छूट गए दामन से
    थामे तेरी यादें।

    bahut sundar..

    .

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  9. bahut achha likha hai, har anuchhed mein do shabdon ko lekar sunder shabd haar piroya hai.

    shubhkamnayen

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  10. बेहतरीन,शब्दों की गूढ़ प्रस्तुति,,,बधाई कविता जी,,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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