Friday, December 14, 2012

क्षणिकाएं


आज एक सहेली के आग्रह पर स्कूल के नाटक के लिए कुछ लाइन लिखी थी।।


लड़कियों की शिक्षा 

बेटियां भी है आपकी बगिया की फुलवार 
उन्हें भी है पनपने का पूरा अधिकार। 
उचित देखभाल,भोजन और पढाई 
लड़कियों की उन्नति से ही 
दोनों घरों में खुशहाली है छाई।। 

भ्रूण हत्या 

बाबा मैं भी हूँ तुम्हारा ही अंश 
मानों तो चलाऊँगी तुम्हारा ही वंश। 
करुँगी जग में रोशन नाम तुम्हारा 
न रोको  इस दुनिया में आने से 
पाने दो मुझे भी प्यार तुम्हारा।।


दहेज़ 

ना तौलो मान मेरा सोने-चांदी से 
बड़ी आस से आयी हूँ अपना नैहर छोड़ के। 
अपना लो मुझे अपनी बेटी समझ के
पा जाऊं तुममे मेरे माँ-बाबा प्यारे से। 
बन जाये फिर इक संसार प्यारा प्यारा 
जो हो कीमती हर इक दहेज़ से। 

बाल विवाह 

बचपन के झूले, गुड़ियों के खेल, 
अम्मा की गोदी, सखियों का मेल, 
भाई का प्यार, बाबा  का दुलार, 
सुख की नींद, भोला संसार, 
न छीनो मुझसे करके बचपन में ब्याह 
अम्मा ये है मेरी छोटी सी चाह।। 

19 comments:

  1. बालिका शिक्षा , भ्रूण हत्या , दहेज़ और बाल विवाह को सजीव कराती रचना ..

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  2. सभी रचनाओं का बहुत उम्दा सृजन,,,, बधाई।

    recent post हमको रखवालो ने लूटा

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  3. सुन्दर सार्थक सृजन... हर क्षणिका लाज़वाब है कविता जी...

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  4. भ्रूण हत्या से घिनौना ,
    पाप क्या कर पाओगे !
    नन्ही बच्ची क़त्ल करके ,
    ऐश क्या ले पाओगे !
    जब हंसोगे, कान में गूंजेंगी,उसकी सिसकियाँ !
    एक गुडिया मार कहते हो कि, हम इंसान हैं !

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  5. बेहद सशक्‍त भाव लिये हर क्षणिका ... उत्‍कृष्‍ट लेखन

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  6. सार्थक क्षणिकाएँ

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  7. बहुत बढ़िया और यथार्थ के करीब

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  8. बहुत ही चिंताजनक विषयों को केंद्रित कर सुंदर क्षणिकाएँ रची है. उत्कृष्ट लेखन के लिये बधाई.

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  9. विषय को सजीव किया है कुछ ही शब्दों में ... इन क्षणिकाओं के माध्यम से ...

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  10. बहुत लाज़वाब क्षणिकाएं...काश यह सभी समझ सकें...

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  11. बहुत प्रभावी क्षणिकाएं...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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  12. कविता जी नव वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएं.

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  13. सभी महत्वपूर्ण विषयों को छुआ आपने
    कादम्बिनी जनवरी अंक में आपकी कविता भी अच्छी लगी

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  14. सार्थक रचनाएँ...
    बहुत बढ़ियाँ...

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