Thursday, April 12, 2012

दोस्ती


  आजकल इंडियन आइडल का एक विज्ञापन आ रहा है जिसमे एक कालेज का लड़का खुद शर्त लगा कर हारता है किसी ओर लडके की आर्थिक मदद के लिए. वैसे तो टी वी पर कई विज्ञापन रोज़ ही आते है लेकिन कुछ विज्ञापन दिल को छू जाते है.खास कर दोस्ती वाले विज्ञापन.अभी कुछ दिनों पहले एक मोबाईल कम्पनी का जिंगल हर एक फ्रेंड जरूरी होता है सबकी जुबान पर था. 
दोस्ती दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता है एक ऐसा रिश्ता जिसमे एक दोस्त दूसरे दोस्त की भावनाओ को, मन की बातों को बिना कहे जान लेता है. जब दोस्त कहे मुझे अकेला छोड़ दो तब उसके कंधे से कन्धा मिला कर खड़ा हो जाता है.ओर जब दोस्त कहे सब ठीक है तब बता ना क्या बात है पूछ पूछ कर सब उगलवा लेता है.
 जब भी इस विज्ञापन को देखती हूँ मन २३ साल पीछे अपने कोलेज की लैब में पहुँच जाता है जब फ्री पीरियड में हम समोसे खाने का प्रोग्राम बनाते थे अब उस समय कोई भी इतना धन्ना सेठ तो था नहीं की सिर्फ अपनी अकेले की जेब से सबको खिला सके .इसलिए पैसे इकठ्ठे होते थे.हमारा एक साथी हमेशा दो लोगो के पैसे मिलता था एक खुद के ओर दुसरे उसके दोस्त जग्गू के .मजे की बात ये थी की हम में से कोई भी जग्गू से पैसे नहीं मांगता था.ओर विपिन के अलावा जग्गू के पैसे देने का किसी ओर को जैसे कोई अधिकार भी नहीं था.जग्गू के पिताजी नहीं थे वह अपनी माँ के साथ रहता था.गाँव में शायद कुछ खेती बारी थी.लेकिन कमाई का कोई ओर जरिया क्या था किसी को नहीं मालूम था. वैसे भी सब कुछ जैसे पहले से तय था.ओर सब इतनी सहजता से होता था की ना हममे से किसी को कुछ कहना होता ना कुछ पूछना. 
लेकिन दोस्ती तो जग्गू ओर विपिन की थी इस तरह की कोई बात उनके बीच नहीं आती थी ओर वो हमेशा बहुत सामान्य रहते थे. ना कभी जग्गू इसके कारण संकोच में रहता ना विपिन में  कोई गर्व की अनुभूति दिखाती.एक गहरी समझ दोनों के बीच थी. 
एक बार हमसे रहा ना गया.उस दिन जग्गू शायद कालेज नहीं आया था .हमने विपिन से पूछा तुम हमेशा जग्गू के लिए इतना करते हो तुम्हारे पास इतने पैसे कहाँ से आते है.ओर वह जोर से हंसा मुझे पता है मेरे पेड़ पर कितने पैसे लगते है बस उतने ही तोड़ता हूँ. 
आज इतने सालों बाद साथ पढ़ने वाले अधिकतर साथी कहीं गुम हो गए हैं लेकिन जग्गू ओर विपिन की वह दोस्ती आज भी मन के किसी कोने में शीतल बयार जैसी है.दोस्ती की ऐसी निश्छल  भावना इतने सालों बाद भी अब तक याद है.आज ये विज्ञापन देख कर उस दोस्ती की याद आ गयी..  

14 comments:

  1. स्मृतियाँ संजो कर रखती हैं वाकये को ..

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  2. SHANDAR SMRITI.
    लाजवाब स्मृति

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  3. कविता जी
    नमस्कार !

    ....मैं भी आपकी बात से सहमत!!!!

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  4. एक गाने की सिर्फ एक लाइन याद आ रही है..

    दोस्ती.... इम्तहान लेती है.

    बहुत सुंदर स्मृतिया हैं।

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  5. कविताजी ...हम स्वयं अपनी मर्ज़ी से अपने दोस्त चुनते हैं ...वे थोपे हुए नहीं होते ...इसीलिए दिल के बहुत करीब होते हैं .....कहीं दोस्ती पर कुछ पंक्तियाँ सुनी थी ...जो बहुत अच्छी लगी थी ...
    my friends always bear in mind-
    A true friend is always hard to find
    So when you find a good and true..
    Never change the old one for the new

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  6. ..बहुत सुंदर प्रस्तुति कविता जी

    मैं ब्लॉग जगत में नया हूँ मेरा मार्ग दर्शन करे !
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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  7. सहजता भी शायद दोस्ती की एक शर्त है। सुंदर संस्मरण!

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  8. सुंदर प्रस्तुति !
    हमारे साथ था एक चंदू । सब चाय पीने साथ जाते थे पैसे मिलाते थे। चंदू की कंजूसी की बाते देख मुस्कुराते थे । चाय तो हमारी पीथा था । दस पैसे कहीं से निकाल कर सिगरेट पीता था । चाय में पैसे मिलाने पर रोता था । दस पैसे की कीमत बहुत थी उस समय । एक दिन सबने देखा फीस काउंटर पर च्म्दू से एक लड़की फीस कम हो गयी कह कर पैसे मांगती है । और पता नहीं चंदू कहीं जूते के नीचे से सौ रुपिये का नोट निकाल कर लड़की को थमा देता है । हम सब ठठा कर हंस पढ़े थे ।

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  9. आज शुक्रवार
    चर्चा मंच पर
    आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||

    charchamanch.blogspot.com

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  10. जीवन में कुछ यादे - हमेशा ताजी रहती है !

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  11. सुन्दर मिसाल शेयर करने के लिए शुक्रिया...

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  12. सुंदर संस्मरण....

    अनु

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