पता नहीं कैसे कैसे बेवकूफ लोग है??अख़बार नहीं पढ़ते या पढ़ कर भी समझते नहीं है,या समझ कर भी भूल जाते है ओर हर बार एक ही तरह से बेवकूफ बनते जाते है.टेबल पर अख़बार पटकते हुए पतिदेव झल्लाए .
ऐसा क्या हुआ ?चाय के कप समेटते हुए मैंने पूछा .
होना क्या है फिर किसी बुजुर्ग महिला को कुछ लोगो ने लूट लिया ये कह कर की आगे खून हो गया है मांजी अपने गहने उतार दीजिये .अरे खून होने से गहने उतारने का क्या सम्बन्ध है.ओर खून तो हो चुका उसके बाद ख़ूनी वहां खड़े थोड़ी होंगे. लेकिन पता नहीं क्यों लोग लोजिकली सोचते ही नहीं है. बस आ गए बातों में ओर गहने उतार कर दे दिए.
अरे तो वो बूढी महिलाओं को निशाना बनाते है .घबरा जाती है बेचारी.नहीं समझ पाती, आ जाती है झांसे में.
अरे बूढी नहीं अब ५० -५५ साल की कामकाजी महिलाएं ओर उनमे भी कई तो अच्छी पोस्ट पर भी है. कैसे नहीं समझ पाती. समझ नहीं आता. ओर खैर मान लिया महिलाएं है लेकिन कितने ही आदमी भी तो ठगे जाते है,लड़कियाँ लिफ्ट लेती है ओर सुनसान रास्ते पर गाड़ी रुकवा कर लूट लेती है.जब पता है की आपके रास्ते सुनसान है तो क्यों देते है लोग लिफ्ट ?
अब बेचारे नहीं मना कर पाते लड़कियों को मदद करने से..क्या करें,मैंने हँसते हुए कहा.
हाँ जी तुम्हे तो मौका मिल गया न हम मर्दों को कोसने का. हम तो बस...
अरे आप इतना नाराज़ क्यों होते है अब शायद परिस्थितियां ऐसी होती होंगी इंसानियत भी तो कोई चीज़ है. फिर किसी के माथे पर थोड़े लिखा है की जिसकी मदद कर रहे है वो धोखेबाज है. चलिए अब नहा लीजिये ओफ़िसे के लिए देर हो जाएगी. मैंने बात ख़त्म करते हुए कहा.
वैसे बात तो सही है,रोज़ तो एक जैसी घटनाएँ होती है ,पैदल चलती महिलायों की चेन खींचना मोबाइल छुड़ा लेना गहने उतरवा लेना,लिफ्ट ले कर लूट लेना. लेकिन पता नहीं क्यों लोग सीख ही नहीं लेते.
देर हो रही है जल्दी चलिए न हॉस्पिटल दूर है.किसी को देखने जाना हो ओर वो भी इतनी देर से. ठीक नहीं लगता. फिर लोटने में भी तो देर हो जाएगी.मैंने हड़बड़ी मचाते हुए कहा .
हाँ भाई चलो अभी बहुत देर भी नहीं हुई है,पतिदेव ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा .
घर से थोड़े ही दूर मोड़ पर एक लड़की खडी थी.लगभग गाड़ी के सामने ही खड़े हो कर उसने हाथ दिया तो गाड़ी रोकना ही पड़ी.
अंकल प्लीज मेरी मदद कीजिये प्लीज मेरी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है.
सड़क के किनारे एक कार खडी थी ऐसा लगा की कच्ची सड़क की गीली मिटटी में फंस गयी है. अब मना तो किया नहीं जा सकता था.सो पतिदेव तुरंत गाड़ी से उतर गए ओर उसकी गाड़ी में बैठ कर गाड़ी स्टार्ट कर दी. गाड़ी निकालने की बड़ी कोशिश की लेकिन ये क्या गाड़ी तो हिली ही नहीं फिर गाड़ी रिवर्स की तो हो गयी लेकिन आगे लेने पर एक इंच भी नहीं हिली. अब तक में भी गाड़ी से नीचे उतर आयी.इस सुनसान रास्ते पर एक अकेली लड़की की मदद करने का एहसास सुखद था. वह लड़की भी मेरे पास आ कर खडी हो गयी.ओर उसके साथ आया शराब की गंध का जोरदार भभका. में दो कदम पीछे हट गयी.
ओह इसने तो शराब पी रखी है.लगता है नशे में गाड़ी कहीं ठोंक दी. अब मैंने गाड़ी को ध्यान से देखा तो पता चला की गाड़ी का अगला हिस्सा दबा हुआ है जिसकी वजह से पहिया आगे को नहीं घूम पा रहा है. तभी एक गाड़ी वहां से निकली लेकिन हमारी गाड़ी तो बीच रास्ते में खडी थी. खैर गाड़ी को साइड में कर के में फिर जल्दी से बाहर आ गयी.तब तक पतिदेव भी गाड़ी से बाहर आ गए थे.
कहाँ रहती हो?कहाँ जाना है? मैंने पूछा. अब ये गाड़ी कहीं नहीं जा सकती बिना मेकेनिक के ये तो तय था. समय निकाला जा रहा था .हमें हॉस्पिटल जाना है ये कहाँ की मुसीबत में फंस गए. मैंने मन ही मन सोचा.
अंकल प्लीज़ कुछ करिए न ,मुझे मूसाखेड़ी जाना है मेरी गाड़ी को पता नहीं क्या हो गया है. प्लीज़ अंकल.
लेकिन तुम यहाँ आयी किसके घर हो ?मूसाखेड़ी तो बहुत दूर है यहाँ से .
आंटी में अपनी एक सहेली के यहाँ आयी थी वो यहीं इसी कालोनी में रहती है .
तो तुम अपनी उसी सहेली के यहाँ चली जाओ.गाड़ी लोक कर दो .सुबह किसी मेकेनिक को फोन कर के बुला लेना वो गाड़ी ले जायेगा.मैंने किसी तरह पीछा छुड़ाने की गरज से कहा.
आंटी मेरा उस सहेली से झगडा हो गया है.अब में उसके घर नहीं जा सकती .आप लोग कहाँ जा रहे है??आंटी प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिये.प्लीज़ आंटी .
कहाँ रहती है तुम्हारी सहेली?
उसने दूर एक घर की तरफ इशारा कर दिया.
हे भगवन इस मकान में ,इसमें तो न जाने ....उस मकान के बारे में कई किससे सुन रखे थे ये वहां से आ रही है .
बेटा सहेलियों में झगडा तो होता रहता है लेकिन वो सहेली है तुम्हे परेशानी में देख कर जरूर मदद करेगी .मैंने फिर कोशिश की .
आंटी में अच्छे घर से हूँ मेरे पापा बहुत अच्छी पोस्ट पर है.प्लीज़ आंटी मेरी मदद करिए .में यहाँ से कैसे जाउंगी ??
तुम्हारे घर से किसी को बुला लो वो आ कर तुम्हे ले जायेंगे ओर गाड़ी का भी कुछ इंतजाम कर देंगे. में हर तरह से इस बिन बुलाई मुसीबत से पीछा छुड़ाना चाहती थी.
आंटी में होस्टल में रहती हूँ. यहाँ कोई फॅमिली मेंबर नहीं है.
आप कहाँ तक जा रहे है मुझे किसी टेक्सी स्टैंड तक छोड़ दीजिये प्लीज़.
हे भगवन ये क्या वही हुआ जिसका डर था. कालोनी के बाहर सुनसान रास्ता ,रात का समय एक अकेली लड़की को लिफ्ट देना ,अख़बार में पढ़ी ख़बरें ,जानबूझ कर बेवकूफ बनना बहुत सारी बातें दिमाग में घूम गयीं.
दिल तो मेरा भी पिघलने लगा .ये लड़की रात के इस समय इस जंगल में ( हमारी कालोनी रात में जंगल सा आभास कराती है) अकेले कैसे कहीं जाएगी. लेकिन सुनसान रास्ते पर उसे गाड़ी में बैठा कर ले जाना भी तो खतरे से खाली नहीं है.कहीं कुछ हो गया तो??घर में बच्चे इंतजार कर रहे है. लेकिन अगर इसे अकेले यहाँ छोड़ दिया तो ?नहीं नहीं ये तो कोई बात नहीं की अपने डर की वजह से किसी अकेली लड़की की मदद न की जाये. लेकिन कहीं लेने के देने पड़ गए तो?ऐसे तो बड़ी होशियारी दिखाते है .मैंने मदद के लिए पतिदेव की ओर देखा.वैसे पता था वहां तो मदद का जज्बा ज्यादा ही जोर मार रहा होगा. लेकिन हॉस्पिटल के लिए देर हो रही है.
देखो बेटा हमें तो यही पास में जाना है लेकिन हम तुम्हे पास के टेक्सी स्टैंड पर छोड़ सकते है .लेकिन तुम्हारी गाड़ी?
अब उसने मेरे पतिदेव की तरफ देखा.
गाड़ी तो यहाँ से हिल भी नहीं पायेगी.ऐसा करो यहीं लोक कर दो हम तुम्हे पास के टेक्सी स्टैंड तक छोड़ देते है.
गाड़ी ठीक से लगा कर लोक की उसे हमारी गाड़ी में बैठाया .पूरी गाड़ी शराब की गंध से भर गयी.महक इतनी तेज़ थी की शीशे खोलने पड़े.मैंने पतिदेव की तरफ देखा.समझ तो वह भी रहे थे लेकिन बिना मदद किये वहां से आगे बढ़ जाना ठीक भी नहीं लग रहा था.
गाड़ी ने कालोनी का रास्ता तय कर मोड़ लिया ओर बिलकुल सुनसान रास्ता शुरू हो गया इसी के साथ मेरे दिल की धड़कने भी तेज़ हो गयी. हे भगवन यहाँ अगर २-४ लोग सड़क पर खड़े हो कर रास्ता रोक ले तो कुछ किया भी नहीं जा सकता. उनपर गाड़ी तो कम से कम नहीं चढ़ाई जा सकती. पता नहीं हम सही कर रहे है या नहीं?.क्रमश
100 मे से एक किस्सा होता है...अखबार में छपता है..और इंसानियत पर से विश्वास डिगा देता है....अच्छा लगा पढ़कर....जारी रहें..शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसंभल के जी, खतरों से खेलना ठीक नहीं।
ReplyDeleteएक ट्रक के पीछे लिखा था -
नेकी कर जूते खा, मैने खाए तू भी खा।:))
aisa hi hota hai...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ... ।
ReplyDeleteआगे क्या हुआ ? जानने की उत्सुक्ता है।
ReplyDeleteबहुत रोचक प्रस्तुति...अगली कड़ी का इंतज़ार है..
ReplyDeletehttp://batenkuchhdilkee.blogspot.com/2011/11/blog-post.html
बहुत ही रोचक प्रस्तुति ....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती....
ReplyDeleteबढ़िया लिखा है आपने.
ReplyDeleteज़िन्दगी के सरोकारों को आपकी कलम खूब समझती है.
अगली कड़ी का इंतज़ार है.
सार्थक लेख..रोचक बन पड़ा है...आगे का इन्तेज़ार रहेगा..
ReplyDeleteआपका मेरे ब्लॉग में पधारने का शुक्रिया..कभी वक्त मिले तो और पुरानी कविता भी पढियेगा...और कहियेगा कि कैसी लगीं.
समस्या कह कर आ गयी !
ReplyDeleteI would like to say thanks for the efforts you have made compiling this article. You have been an inspiration for me. I’ve forwarded this to a friend of mine.
ReplyDeleteFrom everything is canvas
बाप रे कहाँ आके छोड़ दिया आपने ..अब अगली कड़ी का ज़िक्र जरुर कर दीजियेगा !
ReplyDeleteइतनी रोचक कथा या हादसा जल्दी पूरा कीजिये ना ......
ReplyDeleteबहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकहानी का .........................क्रमश:
ReplyDelete100 मे से एक किस्सा होता है...अखबार में छपता है..और इंसानियत पर से विश्वास डिगा देता है....अच्छा लगा पढ़कर....जारी रहें..शुभकामनाएँ...
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