Friday, April 22, 2011

पीपल


पीपल पर फिर नयी कोंपले आ गयी
फिर चहचहाने लगे पंछी उस पर
सड़क के किनारे लगा
बरसों पुराना पीपल
न जाने किसके हाथ से लगाया हुआ
छोड़ देता है अपने पुराने पत्ते
उसका विशाल भव्य आकर
हो जाता है रीता
और करता है इंतजार
नए पत्ते ,पंछियों और पथिकों का
है उसका विश्वास अटूट
ये सब फिर लौटेंगे

बरसों पहले बसी कालोनी
अपनी सामर्थ्य भर पैसा जुटाते
बच्चों की जरूरत मुताबिक
करते सुविधाओं का विस्तार
खूब रौनक भरी
लगभग एक उम्र के सब बच्चे
खेल के मैदान और छत पर
गूंजते कहकहे और किलकारियां
पीपल के नीचे बैठ कर
लिए गए मशविरे
देखते पीपल की कोपलें
दी गयी सलाहें
कुछ बन कर वापस लौटेंगे ये पंछी

आज इन्हें जाने दो
पीपल की एक एक शाख सा
हर घर रहा इसी आस पर

तब से अब तक
न जाने कितनी बार
पीपल पर आ गयी नयी कोंपलें
कितने ही पंछियों के बने बसेरे
पीपल फैलता रहा अपनी शाखें
देने ज्यादा पथिकों को अपनी छाँव

पीपल के नीचे बैठ कर
आज भी होते है मशविरे
अपने विस्तार को समेटने के
इन बूढ़े पीपलों को
हो गया है विश्वास
इनकी शाख पर
कोंपलें अब नहीं लौटेंगी
पंछी दो घडी सुस्ता कर
फिर उड़ जायेंगे
कि अब उनका बसेरा है कही और

पीपल के नीचे
अब भी होती है बैठके
चहकते पंछियों को देखते
मन का सूनापन मिटने को.

26 comments:

  1. khubsurat peepal ko khubsurat shabdo se sanjo diya aapne..badhai!

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  2. कहावत है-
    बूढा पीपल घाट का,बतियाए दिन रात
    जो गुजरे पास से, सिर पे धर दे हाथ

    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार

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  3. जीवन्त अभिव्यक्ति... आभार.

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  4. खूबसूरत कविता.. पीपल का विम्ब जीवन का विम्ब है..

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  5. पीपल के नीचे बैठ कर
    आज भी होते है मशविरे
    अपने विस्तार को समेटने के
    इन बूढ़े पीपलों को
    हो गया है विश्वास
    इनकी शाख पर
    कोंपलें अब नहीं लौटेंगी
    पंछी दो घडी सुस्ता कर
    फिर उड़ जायेंगे
    कि अब उनका बसेरा है कही और
    kitni gahri baat kah gai

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  6. कविता जी ..परमार्थ हमेशा मौन ही होता है !आप मेरे ब्लॉग पर आई और इसे फोल्लो की ! आपने बालाजी को समझा ! बहुत - बहुत धन्यबाद ! इससे भी रुचिकर और सत्य घटनाओं पर आधारित पोस्ट भविष्य में पोस्ट करूँगा ! अपने बहुमूल्य विचार देना कभी न भूले ?

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  7. बहुत बढ़िया ..... पीपल के वृक्ष के माध्यम से सामाजिक जीवन के कितने रंग उकेर दिए आपने..... बहुत सुंदर

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  8. बहुत सरल शब्दों में बड़े गहरे ज़ज़्बात .......आभार !

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  9. aur uske baad phir basenge naye ashiyaane usii peepal par....
    Bahut hi UMADAA , Kavita jeee....
    Gaagar mein Saagar...!!!...

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  10. सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  11. पीपल के नीचे
    अब भी होती है बैठके
    चहकते पंछियों को देखते
    मन का सूनापन मिटने को.
    bahut bhavpoorn rachna ...badhai

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  12. पीपल पर पोस्ट लगाना आपके पर्यावरण के प्रति प्रेम को दर्शाता है,जो एक श्रेष्ठ कार्य है.

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  13. ppepal ka per,
    gaaon ka khet,
    pani ka kuan,
    sab yaad aa gaye...hari hari vasundhara ki chah jagi man me...
    badhiya post.

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  14. budh pipal ke niche budhe pipalon ki baithak...mashvire...aur panchiyon ke naa lautane ki aas...badhiya khaka khincha hai...sunder rachna...

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  15. पीपल के पेड़ के माध्यम से आपने सामाजिक सत्यों को उद्घाटित करने का प्रयास किया है जो की प्रभावी बन पड़ा है ...आपका आभार

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  16. बहुत सुंदर कविता बधाई कविता जी !

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  17. बहुत गहरी बात सुन्दर पीपल छाँव ....मनमोहक !

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  18. इन बूढ़े पीपलों को
    हो गया है विश्वास
    इनकी शाख पर
    कोंपलें अब नहीं लौटेंगी
    पंछी दो घडी सुस्ता कर
    फिर उड़ जायेंगे
    कि अब उनका बसेरा है कही और


    गहन शब्‍दों का समावेश ... ।

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  19. बेहतर... पढ़ते पढ़ते अपने गांव के पीपल के पेड की याद आ गई, अव वहां भी नई पत्तियां आ गईं होंगी। बेचारे सूखे पत्ते.....

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  20. बहुत सरल शब्दों में गहरी बात, सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई

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  21. Peepal apni jaron ki bhanti hi hamare jeevan me vistarit hai..sundar bhavon ko bikherati sundar rachana...shubhkamna...

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  22. bahut gahree baat bahut sahjata se abhivykt.......
    dil ko choo gayee ye rachana....

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  23. peepal apne aap mein ek dastavez hai ... ithihaas hai lambe samay ka ... bahut umda prastuti ...

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  24. बहुत सही और सच्ची बात.

    दुनाली पर देखें
    चलने की ख्वाहिश...

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