दीदी ,लता के जितने पैसे बाकि हो दे दो अब वह काम पर नहीं आएगी. गेट बजाते हुए उसने कहा .
लता मेरी काम वाली बाई ,टखने तक चढ़ती मैली फटी साड़ी,बिखरे रूखे बाल ,पांच महीने का बढ़ा पेट,चहरे पर सिर्फ दांत और सूनी आँखें ,ये तस्वीर थी लता की जब पहली बार वह काम मांगने आयी थी .
काम तो है लेकिन तुम कितने दिन कर पाओगी ?उसके पेट को देखते हुए मैंने पूछा ?
कर लूंगी दीदी ,मुझे काम की जरूरत है,छोटे छोटे बच्चे है मेरे .जब छुट्टी जाउंगी तब दूसरी बाई लगा दूँगी आपको तकलीफ नहीं होगी.
काम वाली बाई की मुझे सख्त जरूरत थी और शहर से दूर इस इलाके में बाइयों का वैसे भी टोटा है ,सो हाथ आई बाई को इस तरह जाने देना कोई समझदारी न थी .जितने दिन कर पायेगी और जितना भी काम कर पायेगी उतना ही सही .
क्या नाम है तुम्हारा ?कहाँ कहाँ काम करती हो ?कोई जान पहचान वाला है जो जमानत दे सके जैसी बातें पूछने के बाद मैंने उसे काम पर रख लिया . सुबह का काम करने वह १२- १ बजे की चिलचिलाती धूप में आती घडी दो घडी सुस्ताती पानी मांग कर पीती और फिर काम में लग जाती.
उसकी सूनी खाली पीली आँखें बता देती की उसे खून की बहुत कमी थी उस पर छटा महिना .में सोचती पता नहीं ये इतना काम करने की हिम्मत कहाँ से जुटाती है .
उसकी बातों से पता चला तीन और चार साल के दो बच्चे है उसके . पति कभी काम करता है कभी नहीं . लेकिन घर का खर्च वही चलाती है पति की कमाई तो उसकी दारू के लिए भी नाकाफी है .
जब कभी वह खाना बनते समय आ जाती में उसे खाना खिला देती कोई विशेष चीज बनती तो उसके लिए रख देती पर वह खाने से इंकार कर देती कहती दीदी में घर ले जाउंगी बच्चे खा लेंगे ,उनको कुछ भी तो बना कर नहीं खिला पाती . दो चार बार में ये जान कर मैंने उसके और उसके बच्चों के लिए सामान रखना शुरू कर दिया .
एक दिन में बच्चों को फ्रूट जेम दे रही थी तब लता ने पूछा दीदी ये कितने का आता है? आप बाज़ार जाओगी तो मेरे लिए ला दोगी ?मेरे पैसे में से पैसे काट लेना .
में हैरान रह गयी .कहाँ तो इसके दाल रोटी के भी लाले रहते है और कहा इतना महंगा जेम?
मैंने कहा ये तो बहुत महंगा आता है .दीदी जितने का भी हो आप पैसे काट लेना पर मेरे बच्चों के लिए ला देना उन्हें रोटी के साथ दूँगी बच्चों के लिए ही तो करती हूँ सब. .
में कुछ न बोली ,पर अगले दो तीन दिन में ही बाज़ार का काम निकल कर उसके लिए जेम की बोतल ला दी .बहुत खुश हुई वह.
उससे कहा पुलिस में रिपोर्ट क्यों नहीं करती करती ?दो डंडे पड़ेंगे तो अकल ठिकाने आ जाएगी उसकी.
किसके भरोसे करूँ दीदी? माँ -बाप है नहीं ,भाई भौजाई है वो खोज खबर लेते नहीं .ये भी घर से निकाल देगा तो बच्चों को ले कर कहाँ जाउंगी ?बस आपसे कह कर मन हल्का कर लेती हूँ .
उसी लता ने रात कुँए में कूद कर जान दे दी .उसके पति के पास तो कफ़न दफ़न के लिए भी पैसे नहीं है इसलिए उसके मोहल्ले वाले उसके काम वाले घरों से पैसे मांग कर अंतिम संस्कार का इंतजाम कर रहे थे .
उफ़ लता कुँए में कूदते हुए तुम्हे अपने छोटे छोटे बच्चों का ख्याल नहीं आया ?तुम्हारे जालिम पति का अत्याचार तुम्हारी ममता से भी ज्यादा बढ़ गया की दुःख और निराशा के उस एक पल में अपने बच्चों को भी भूल गयी . लेकिन कुँए के पानी में डूबते उतराते तो तुम्हे अपने बच्चे याद आये होंगे ना ?
फिर तुम कितना तड़पी होगी ?तुमने कैसे तड़प- तड़प कर अपनी जान दी होगी . ये तड़प पति के अत्याचार के लिए रही होगी या अपने बच्चों के लिए अपनी जान बचाने के लिए?या अपने बच्चों को अपने सीने से लगाने के लिए?
लता में आज भी यही सोचती रहती हूँ .
taakat se adhik karti lata , bachchon ke liye jiti lata ... bhooli yaa kya ! kitni bhayanak baat hogi jab wah sabkuch bhulker chali gai , aankhon ke registaan ko samajhna mumkin nahin hota n !
ReplyDeleteओह बहुत मार्मिक ....कितना साहस जुटाया होगा ऐसा करने के लिए ...
ReplyDeleteबहुत मार्मिक . पढ़कर मन दुखी हो गया.
ReplyDeleteओह! मन दुखी हो गया ... मैं यही सोचता हूँ कि लोग आत्महत्या के लिए साहस कैसे जुटा लेते हैं. जीवन से कठिन आत्महत्या जैसा कदम उठाना है.
ReplyDeleteबहुत मार्मिक
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक प्रस्तुति ...।
ReplyDeleteपहली बार आपकी पोस्ट पे आया
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक प्रस्तुति दिल को छू गई ...।
हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति दिल को छू गई ...।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें...........
बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति|धन्यवाद्|
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत मार्मिक चित्रण.
ReplyDeleteहम तो बेकार मजबूरी का रोना रोते हैं.
कोई इनकी मजबूरी देखे.
मार्मिक कहानी !!संघर्ष हार जाए तो सबसे अधिक दुःख होता है
ReplyDeleteएक मार्मिक हकीकत !
ReplyDeleteएक दिन सबको ही मरना है फिर जल्दी (आत्महत्या) किसलिये ?
ReplyDeleteनव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
ReplyDeleteइस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है. इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं ……
ReplyDeleteलता!
ReplyDeleteकितनी प्रताड़ना सहनी पड़ी होगी उन्हें कि ऐसा कदम उठाना पड़ा। मुझे उनके बच्चों की चिन्ता हो रही है। कौन उनकी देखभाल करता होगा। एक शराबी पिता से तो कोई उम्मीद है भी नहीं।
कौन उनके लिए खाना बनाता होगा कौन शराबी बाप (पिता कहलाने लायक तो वह है भी नहीं) की पिटाई से उन्हें छुड़ाता होगा? कौन उन्हें फ्रुट जैम लाकर देगा।
लता कम से कम बच्चों का तो खयाल किया होता।
बेहद मार्मिक विवरण... काश यह कहानी होती...
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