Thursday, February 4, 2010

दूध और मलाई


बचपन की जब यादे आती है तो याद आती है वे छोटी मोती शरारतें ,लड़ना झगड़ना,और छोटी मोटी गुस्ताखियाँ,जो उस समय निच्छल मन से की गयी हरकतें थी.बात जब की है जब हम रतलाम में रहते थे.न्यू रोड पर एक बड़ी सी बिल्डिंग जिसमे कई सारे किरायेदार रहते थे.उनका दूध,पेपर,पानीवाला,साझा और हर घर के सुख-दुःख साझे। दिन में सभी ओरतें गेलरी में बैठ जाती थी और घर के तमाम काम मिलबांट कर चुटकियों में हो जाते थे। वही बैठ कर घर गृहस्थी की तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता था।
इन्ही दिनों मम्मी बहुत परेशान रहती थी कारण था दूधवाला दूध बहुत पतला ला रहा था.उसमे से मलाई नहीं निकलती थी जिससे घी नहीं बन पाता था.और हर महीने घी खरीदने में घर का बजट बिगड़ जाता था।
रोज़ सुबह जब दूध वाला आता मम्मी उस पर नाराज़ होती और वो कहता भौजी मैं तो बढ़िया दूध लाता हूँ बिल्डिंग में सभी को देता हूँ पूछ लो.अब उसके सामने तो कोई कुछ नहीं बोलता था ,पर दिन की पंचायत में सभी मम्मी को समझाते की दूध तो बढ़िया आ रहा है हर पंद्रह दिन में एक पाव से ज्यादा घी निकल जाता है, और मम्मी थीं की उस दूध वाले को बंद कर दूसरे दूधवाले की बंदी लगाने को तैयार थी .एक दिन सुबह सुबह तो मम्मी का गुस्सा सातवें आसमान पर था भैया कब से कह रहे हैं पर तुम दूध इतना पतला ला रहे हो बिलकुल मलाई नहीं उठती कल से दूध देना बंद कर दो वगैरह वगैरह ...................
मैं वही कड़ी सब सुन रही थी अब मुझे लगा आज तो भैया की खैर नहीं तो मैंने मम्मी की साड़ी धीरे से हिलाए और उनका ध्यान अपनी और देख कर कहा - मम्मी दूध वाले भैया तो अच्छा दूध देते है पर आप जब छोटू को लेने स्कूल जाती हो न तब मैं दूध पर से साड़ी मलाई खा जाती हूँ । अब इतना सुनना था की बिल्डिंग वाले सभी जोर से हंस पड़े,मम्मी चुप और दूध वाले भैया मूछों में मंद-मंद मुस्कुरा कर बोले- भौजी दूध तो हमी देंगे,और उठ कर चल दिए ।

13 comments:

  1. वाह बचपन की भोली शरारत और फिर गलती कबूलना ।

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  2. शरारत भरी समझदारी. अभी भी ऐसा करती हैं क्या?

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  3. vinayji ,hriday pushapji dhanyavad.ab to hawa bhi khao to mote hone ka dar satata hai,ha par jhoot nahi bolungi kabhi-kabhi jaroor kha leti hu.

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  4. AAP KI BAT PAD KAR MUZE BHI AISA KISS YAAD AA GAYA. MAIN BHI DOODH LENE JATA THA TO MITHAI KHA LETA THA PAPA PAYMENT DENE JATE TAB HISAB JAYDA BANTA THA .TAB CHORI PAKDI JATI THI. YO DIN BHI KYA DIN THE............

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  5. बचपन की क्या बात है? हम को तो अब भी मौका लग जाये तो हाथ मार लेते हैं.:)

    रामराम.

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  6. यादें कहां पीछा छोड़ती हैं और अच्छी तो जब भी आती हैं साथ में मुस्कुराहट ले ही आती हैं

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  7. बढिया संस्मरण. ऐसा ही होता है बचपन.

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  8. बचपन की यादें शरारतें बहुत अच्छी लगती हैं सुन्दर संस्मरण शुभकामनायें

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  9. MALAAI KHAANE KA EK AUR NUSKHA.... baasi roti ko choor karke doodh ke saath galaa kar khaana. par ..... upar se malaaii jaroor daalna. ... na to shakkar ki jaroorat hogi na mithaai khaane ki ichcha hogi... is par mere blog me kuchh samay baad kuchh yaden ayengi.

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  10. मजेदार पोस्ट,
    परन्तु एक सवाल भी है, इतनी मलाई खा खा कर भी आप मोटी क्यों नहीं हुई, इसका क्या राज है?
    :) :)

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  11. बहुत ही उम्दा !!पहली बार आया.अब बार-बार होगा आना....

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