Saturday, July 6, 2019

पोर्टब्लेयर डायरी 3

3) #पोर्टब्लेयर #portblair #andmannicobar
दूर तक फैले नीले समुद्र में अपना अक्स देखता नीला आसमान हरे भरे घने पेड़ों से भरे भरे टापू समुद्र की गहराई को नाप कर खड़े किये गये पिल्लर और उन पर बना ब्रिज जिस के पास जेट्टी रुकी और उस पर अस्थाई सीढ़ी लगा कर उतरते और अचंभित हो ठिठक जाते यात्री। जिसकी भी नजर उतरते ही नीले विस्तार पर गई वह एक पल को ठिठक गया और फिर जैसे अचानक चौंक गया और इसे कैद करने के साधन ढूंढने लगा। प्रकृति की सुंदरता को हम कहाँ कैद कर सकते हैं हम तो उसके एक अंश मात्र से खुद को भरमाते हैं। प्रकृति को कैद करने के लिये जो प्राकृतिक कैमरा बनाया है उसका अधिकतम उपयोग ही करना उचित है। पुल पर जवान तैनात थे किनारे पर नीले पानी के नीचे सफेद चट्टान दिखते दिखते अचानक गायब हो गई। मैंने जरा झांक कर देखा तो मुझे तुरंत टोका गया मैडम दूर रहिये।
कितना गहरा पानी है यहाँ?
काफी गहरा है कहते हुए वह खुद बिलकुल किनारे पर खड़ा हो गया।
सूरज को पता ही नहीं था कि जिस दर्पण में देख कर वह इठला रहा है उसी में अपनी तपिश उंडेल कर वह अपने और उसके बीच बादलों की चादर तान देगा। इससे क्या न भास्कर नारायण अपना धर्म छोड़ सकते हैं और न उनके प्यार से पिघलकर धुआं धुआं हुए समंदर महाराज। वे तो बादल रूप में ही आलिंगन करने को तत्पर हुए जाते हैं। इस प्रेम के बीच आ जाते हैं हम पर्यटक जो इसकी तपिश और उससे उपजी उमस के बीच पसीना पसीना होते हैं रुमाल से पोंछते हैं और नारियल पानी ढूंढते हैं। बाहर आने के पहले ही हमारा लोकल एजेंट हाथ में तख्ती लिए मिल गया और गाड़ी आने तक उसने हमें एक पेड़ की छांव में नारियल पानी वाले के पास छोड़ दिया।
हैवलाक आयरलैंड में हमें क्या देखना है यह पूछने पर उसने बताया कि यहाँ स्कूबा डाइविंग है राधा नगर बीच है और अगर स्कूबा डाइविंग के लिए जाना है तो आप घंटे भर में तैयार हो जाइये।
अंडमान आयें और कोरल न देखें तो क्या फायदा हालाँकि तैरना जाने बिना गहरे समुद्र में उतरने का विचार ही डरावना था।
खूबसूरत काॅटेज से घिरे स्वीमिंग पूल वाला हमारा होटल देखते ही बस दिल में समा गया। जल्दी से कमरे में सामान रखा एक बैग में कपड़े रखे और नाश्ता किया तब तक हमारी गाड़ी आ गई। स्कूबा डाइविंग के पहले आवश्यक फार्म भरा डाइविंग सूट पहना और हाई टाइड के पानी में सफेद चट्टानों पर चलते हुए पहुँच गये कमर तक पानी में जहाँ पंद्रह मिनट की ट्रेनिंग होना था। हाँ पानी में जाने के पहले कमर पर पत्थरों की एक बेल्ट पहनाई गई मतलब यही था कि तुम्हें गहरे डूबना है तैरने की कोशिश न करना। मुझे तो वैसे ही तैरना नहीं आता ऐसे ही छोडते तो डूब ही जाती। वैसे अब तक जिस दुनिया में हम विचर रहे थे उसमें पहले ही डूब चुके थे।
पीठ पर आक्सीजन टैंक बांधा मुँह पर मास्क लगा कर साँसों पर नियंत्रण मुँह से साँस लेने की प्रेक्टिस इशारों को समझना उसका इशारों में जवाब देना गहराई में कान पर बनने वाले प्रेशर को रिलीज करना मुँह में पानी भरने पर उसे निकालने के लिए बटन दबाना ऊफ। पंद्रह मिनट में कई बार ऐसा लगा कि क्या करें जायें या नहीं जायें? कहीं कुछ भूल गये तो? लेकिन दिल ने कहा अब जो होगा देखा जाएगा। डाइविंग फीस के साथ फोटो वीडियो शूट कांप्लीमेंट्री था। जाने के पहले वीडियो शूट हुआ तो बड़ा अच्छा लगा पीठ पर सिलेंडर मुंह पर मास्क डाइविंग सूट बस कमर तक पानी में खड़े होकर चाँद पर पहुँचने सा आभास हो रहा था। तभी जोरदार बारिश शुरू हो गई मन फिर डर से भर गया। बारिश में समुद्र कितने खतरनाक होते हैं लेकिन अंडमान सागर बहुत शांत है। हम चल पड़े डूबने नीली चादर के नीचे छुपी एक और दुनिया का दीदार करने। मन में डर उत्सुकता आशंका सभी लेकर। धूप न होने के कारण हल्का धुंधला पन था लेकिन अंदर बड़ी बड़ी चट्टान उनके आसपास तैरती छोटी छोटी मछली जीवित कोरल छोटे छोटे पौधे काली पीली हरी पीली कुछ एकदम छोटी मछलियों के झुंड तो कभी इक्का दुक्का बड़ी मछली। कहीं चट्टानों के बीच इतनी गहराई कि तल में कुछ दिखाई न दे तो कहीं इतनी ऊंची कोरल रीफ के डर कर पैर सिकोड़ लिए कि कहीं उनसे टकराकर उन्हें नुकसान न पहुँचा दें। तभी फोटोग्राफर कैमरा लेकर आ गया और धड़ाधड़ फोटो खींचना शुरू कर दिया। गहरे पानी की अनूठी दुनिया ने वैसे ही हतप्रभ कर रखा था ऐसे में पोज देना किसे सूझता है?
हर व्यक्ति के साथ एक गाइड था जो हर आधे मिनट में इशारे से ठीक होने के बारे में पूछता रहा। कई बार प्रेशर के कारण कान सुन्न हुए लेकिन ठान लिया था समय पूरा होने के पहले बाहर नहीं आना है। आधे घंटे का समय चुटकियों में बीत गया और हम बाहर आये तब तक बारिश बंद हो गई थी लेकिन बादल घने थे। बहुत देर तक तो विश्वास ही नहीं हुआ कि हम एक अनोखी दुनिया में विचरण करके आ गये हैं। जो दुनिया टीवी स्क्रीन पर देखते थे उसे इतने पास से देख कर आ रहे हैं। अद्भुत अनुभव था जिसे शब्दों में ढालना मुश्किल है। ध्यान या समाधि की स्थिति शायद ऐसी होती होगी जब सब कुछ विलीन हो जाये।
बाहर आकर हम कपड़े बदल रहे थे सामान समेट रहे थे लेकिन नजरों के सामने तैरती मछलियाँ सांस लेते कोरल पानी की गहराई ही थी।
यहाँ से अगला स्पाॅट था राधा नगर बीच। घने जंगल के बीच नारियल के बगीचे उनके किनारे पर बने छोटे छोटे मकान मकान के सामने करीने से लगाया गया गार्डन ऊंचे नीचे सर्पीले रास्ते। ड्राइवर ने हमें वहाँ छोड़ा और दो घंटे बाद वापस आने का कहकर चला गया।
कविता वर्मा

4 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07 -07-2019) को "जिन खोजा तिन पाईंयाँ " (चर्चा अंक- 3389) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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  2. बहुत रोमांचक यात्रा संस्मरण।

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  3. सुन्दर वर्णन

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  4. बहुत सुंदर वर्णन। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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