Saturday, September 29, 2018

समीक्षा किसी और देश में

विनय कुमार जी से पहचान फेसबुक के माध्यम से ही हुई। उनके बनाये लघुकथा समूह नया लेखन नए दस्तख़त ने लघुकथा की बारीकियां सिखाई तो नियमित लिखना भी सिखाया। आपके बारे में जानने पर अचम्भा हुआ कि दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए भी भारत उनमें धड़कता है। उनकी पोस्ट से भारतीय जीवन संस्कृति आचार विचार के साथ साथ खेती किसानी तीज त्यौहार नदी प्रकृति के प्रति प्रेम और चिंता सभी प्रकट होते हैं। चीज़ों को देखने की उनकी दृष्टी सहज सरल होते हुए बेहद सुलझी हुई है और कई बार हैरान करती है। हिन्दी भाषा के प्रति उनके प्रेम ने दक्षिण अफ्रीका में भी इसके प्रचार प्रसार की राह खोज ली। हाल ही में उनका एक लघुकथा कहानी संग्रह 'किसी और देश में ' दक्षिण अफ्रीका से प्रकाशित हुआ है। 

किसी और देश में 
किसी और देश में विनय कुमार जी का लघुकथा कहानी संग्रह है जिसमे छोटी बड़ी कई कहानियाँ शामिल हैं। संग्रह की पहली कहानी शीर्षक कहानी 'किसी और देश में ' विदेशों की मंहगी पढाई  कर्ज को उतारने के बाद बच्चों का पैसों की चकाचौंध के लिए विदेशों में बस जाने की मार्मिक कथा है। यह कथा पीछे असहाय माता पिता की पीड़ा छोड़ जाती है। 
लड़कियाँ सबके लिए सहज ही एक ममत्व भाव सहेजे होती हैं और इसी भाव को व्यक्त करती कथा है बेटियाँ जो अनायास आँखें नम कर देती है। 
दूसरों के कृत्य पर नाक भौं सिकोड़ने वाले जब खुद वही करते हैं तो कोई सरलता से उन्हें अपनी गलती का एहसास करवा देता है। तमाचा बेहद अच्छी पंच लाइन के साथ चुस्त लघुकथा है। 
महिलाओं और पुरुषों के लिए समाज ने दोहरे मापदंड तय कर लिए हैं। इन्हीं पर करारा प्रहार करती लघुकथा इज्जत दो तीखे मोड़ लेकर चकित करती है।वहीँ फर्क लघुकथा इस मापदंड को स्वर देती है।  
श्राद्ध और प्रायश्चित जीते जी इंसान को तरसाने के बाद उसके मरने पर धूमधाम से श्राद्ध करने की कुसंस्कृति पर प्रहार करती है। 
'उदासी' यूँ तो अपने दुःख को छुपा कर दूसरों के सामने हँसने की कथा है लेकिन इसमें एक सच्चे दोस्त के द्वारा छुपे दुःख को पहचान लेने की दिल छूती भावना है। 
ईमान लघुकथा वंचितों की ईमानदारी बचाने की सामाजिक जिम्मेदारी को  अच्छी कथा है। हालाँकि इसे एक और ड्राफ्ट की जरूरत भी महसूस हुई। 
लेखन में लगातार आगे बढ़ते कई बार असंभव आदर्श सिर उठाने लगते हैं लेकिन संकल्प लघुकथा एक टीस छोड़ते हुए व्यावहारिक रास्ता अख्तियार करती है। 
कुछ लघुकथाएं बेहद चौंकाती हैं। ये सरल लेकिन मनोवैज्ञानिक सजगता से लिखी गई कथाएं हैं। बदलाव , बदलते रिश्ते , स्टोरी, यकीन ,परिपक्वता, गुलाल के रंग   ऐसी ही लघुकथाएं हैं जिनके बारे में कुछ भी कहने से बेहतर है पढ़ना होगा। 
राजनीति और धर्म एक मेहनत मजदूरी करने वाले व्यक्ति के लिए शतरंज की ऐसी बिसात होते हैं जिसमे शह और मात का उसके लिए कोई अर्थ नहीं रहता। उसे तो हर हालत में हारना ही है।  
स्वच्छता अभियान का जो मनोवैज्ञानिक प्रभाव लोगों पर पड़ा है उसके चलते सफाई कर्मियों के काम को सम्मान मिलने लगा है जो कि एक अच्छी बात है कुछ ऐसे भी भाव है लघुकथा सम्मान में। कह सकते है कि विनय जी की लेखनी समसामयिक मुद्दों पर तो बड़ी सजगता से चली है साथ ही समाज के सकारात्मक बदलाव को उन्होंने अपने लेखन में शामिल करते हुए देश की छवि को 'किसी और देश में 'निखारा है।
कामयाबी का सेहरा अपने और अपनों के सिर पर तो आसानी से बाँधा जाता है लेकिन इससे अलग कुछ लोग बहुत ख़ामोशी से सफलता के पायदानों पर चढ़ने के लिए सहारा देते हैं। ऐसे ही लोगों को पहचानने और सम्मान देने की कथा है नींव। 
बालश्रम ,लड़कियों के प्रति संकुचित नजरिया जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी आपकी लेखनी खूब चली है। 
विकास की दौड़ में उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण से उपजी निराशा का चित्र करती है लघुकथा वचन। 

इस संग्रह में लघुकथाओं के साथ कुछ कहानियाँ भी हैं। 'कसूर' इकलौती बेटी के प्रति पिता के प्रेम की अनूठी कहानी है जो विपरीत हालात में बेटी के अधूरे काम को पूरा करने का बीड़ा उठाता है। 
'घर वापसी' धर्म और राजनीति के खेल में पिसती तो आम जनता है इसी भाव को उकेरती है यह कहानी। विनय जी की कहानियों में भाषा सरल सहज और प्रवाहमय है। शब्दों का चयन खूबसूरती से किया गया है। किसी और देश में अपने देश की समस्या संस्कृति राजनीति भावनाओं को इस खूबी से उभारने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई। 
कविता वर्मा 

 

अनजान हमसफर

 इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। ग...