Friday, January 27, 2017

इंतज़ार


जब कहानियाँ लिखना शुरू किया था तब यह कहानी लिखी थी। समय के साथ लेखनी में कुछ परिपक्वता आई तो लगा इसे फिर से लिखना चाहिए। एक प्रयास किया है पढ़िए और बताइये कैसी लगी ?


युवा उम्र का आकर्षण कब प्रेम में बदल साथ जीने मरने की कसमे खाने लगता है बिना परिवार की राय जाने या अपनी जिम्मेदारियों को समझे। यथार्थ से सामना होते ही प्रेम के सामने एक अलग ही व्यक्तित्व नज़र आता है जिससे नज़रें मिलाना खुद के लिए ही मुश्किल होने लगता है। प्रेम में किसी को तो गहरी चोट लगती है और उसके निशान सारी जिंदगी के लिए सीने पर अंकित हो जाते हैं। उम्र के किसी पड़ाव पर जब बिछड़े प्रेम से सामना होता है तब अतीत किसी आईने की तरह असली चेहरा दिखा देता है और उसका सामना करना कठिन होता है। एक तरफ प्रायश्चित करने का बोध होता है तो दूसरी तरफ प्रेम पाने की ललक। तब क्या फैसला होता है युवा मन सा या उम्र को सम्मान देते हुए फिर परिस्थितियों के अनुसार। जानना दिलचस्प होगा मेरी कहानी इंतज़ार में।

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