शहर की व्यस्ततम सड़क पर दिनेश की कार एक ठेले से टकराई ओर ठेले को खींचता बूढ़ा नीचे गिर गया. ओह्ह ये बूढ़े भी न बुदबुदाते दिनेश नीचे उतरा .आस पास भीड़ जमा हो गयी थी बच निकलना नामुमकिन था मौके की नजाकत देखते उसने आवाज़ को भरसक नरम बनाते हुए कहा - बाबा माफ़ कर दो गलती हो गयी .आपको ज्यादा चोट तो नहीं आयी?
बूढा अपना मुंह गमछे में छुपाता उठ खड़ा हुआ. दिनेश ने पर्स से दो सौ रुपये निकाले ओर बूढ़े के चेहरे से गमछा हटाते उसकी ओर बढ़ाये .बूढ़े का चेहरा देखते उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी ओर उसके मुंह से बेसाख्ता निकला- बाबूजी आप?
अपने पिता को मजदूरी करते देख अगले ही पल उसका पारा चढ़ गया .भीड़ की परवाह किये बिना वह चिल्ला पड़ा बाबूजी आप को इस तरह मजदूरी करने की क्या जरूरत है?आप मेरी नाक कटवाने पर तुले है .क्या हम आपका ख्याल नहीं रखते?
बूढ़े ने दोनों हाथ ऊपर उठाते जैसे अपना बचाव करते हुए धीरे से कहा -बेटा तुम ओर तुम्हारा भाई बारी बारी से महीने के ३० दिन सब कुछ करते हो .पर इस महीने ३१ तारिख आने वाली है ओर एक पूरे दिन की भूख तुम्हारी माँ से बर्दाश्त नही होती ठेला धकाने में थोड़ी मदद कर देता हूँ तो एक समय खाने का इंतजाम हो जाता है. पर लगता है इस महीने उपवास ही करना होगा .कहते बूढ़े बाबूजी आगे बढ़ गए ओर दिनेश सर झुकाए हाथ में थामे नोटों को देखता रह गया .
सामयिक और मार्मिक लघुकथा
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक एवं भावुक कर देने वाली लघुकथा...
ReplyDeleteबधाई......
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बंहुत बढि़या।
ReplyDeleteसभ्य समाज का यही असली चेहरा है। सच कहूं तो ऐसे चेहरों पर नकाब पड़ा ही रहे तो ज्यादा बेहतर है, तथाकथित बडे चेहरों से नकाब हटा तो इतना बदबूदार चेहरा सामने आएगा कि इससे बाकी समाज के भी दूषित हो जाने का डर बना रहेगा।
ReplyDeleteमार्मिक लघुकथा
ReplyDeleteआपको पढना वाकई सुखद अनुभव है।
आधुनिकता की क़यामत है ! करारी चोट ! बहुत - बहुत बधाई !
ReplyDeleteबहुत कुछ सोचने पर विवश करता है ..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेखन है आपका.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeleteदुखद...
ReplyDeleteमगर
कड़वा सच...
बहुत दुखद चित्र दिखाया कविता जी, पर कुछ हद तक सच भी है.
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की मंगलकामनाएँ.
ये माँ बाप हीं हैं जो बच्चों को बद्दुआ नहीं दे पाते...
ReplyDeleteतीखी... मार्मिक...
ReplyDeleteदुखद,मार्मिक कथा की बेहतरीन प्रस्तुति,...
ReplyDeleteMY NEW POST ...काव्यान्जलि...सम्बोधन...
दर्द भरी दास्तान पर एक खूबसूरत सन्देश हुई सार्थक रचना |
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