ब्लॉग जगत में आये मुझे लगभग ढाई साल हो गए है.इस समय में जो भी लिखा वो आप सभी लोगो ने सराहा.जिससे मुझे ओर लिखने की हिम्मत मिली .बीच बीच में कुछ रुकावटें भी आयी जिससे लिखना कम हुआ लेकिन लिखने का शौक ओर आपका प्रोत्साहन मुझे फिर यहाँ खींच लाया. आज में अपनी १०० वीं पोस्ट डाल रही हूँ.आशा है आप लोगो को पसंद आएगी .
पता नहीं भाभी कैसे फूल सी बच्ची से ऐसा व्यव्हार कर पाती है. पिंकी उनकी दूसरी बेटी है.उसके जन्म के समय सभी को बेटे की आस थी इसलिए उसे वह प्यार कभी नहीं मिला जिसकी वह हकदार है.
भाभी जब भी पिंकी को बेवजह डांटती स्नेहा का दिल तड़प उठता .निस्संतान स्नेहा का मातृत्व एक किलकारी के लिए खून के आंसू बहता .
उसने पिंकी को चुपके से अपने कमरे में बुलाकर सीने से लगा लिया.
आज फिर भाभी का अवसाद पिंकी पर ज्वाला बन फूट पड़ा. उन्होंने पिंकी को चार -पांच तमाचे भी जड़ दिए. गुस्से में शब्द अंगारे बन कर बरस रहे थे. स्नेहा से रहा न गया .वह कमरे से बाहर निकली ओर भाभी के हाथ से पिंकी को छुड़ा कर अपने सीने से लगा लिया ओर रोते हुए बोली बस करो भाभी ये बेटी बन कर पैदा हुई इसमें इसका क्या कुसूर है अगर आपको इससे कोई लगाव नहीं है तो इसे मेरी झोली में डाल दो लेकिन इस मासूम से इतनी नफरत तो न करो.
नफरत?? भाभी जैसे अचानक होश में आयीं में अपनी बेटी से नफरत करूंगी?
लेकिन भाभी प्यार भी तो नहीं करती न?
पिंकी स्नेहा के पैरों को अपने नन्हे हाथों से घेरे सिसक रही थी.
भाभी ने पिंकी को खींच कर अपने सीने से लगा लिया .उसका चेहरा चुम्बनों से भर दिया .बेटी को खुद से अलग कर देने के ख्याल से ही उनका मातृत्व तड़प उठा. बेटे की चाह में अपनी ही बेटी के साथ किये अन्याय को महसूस कर उनका मन ग्लानी से भर गया.
स्नेहा ने सुकून की साँस ली. उसका मातृत्व संतुष्ट था . एक बच्ची को उसकी माँ का प्यार जो मिल गया .
बहुत सुन्दर सीख देती लघुकथा…………100 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और प्रभावी प्रस्तुति ....
ReplyDeletekavita ji shatak ke liye badhyee...sarthak lekhan ki apeksha rahegi hamesha aapse ,sunder lekhan ho tumhara sunder man.....
ReplyDeleteमाँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती पोस्ट....
ReplyDeleteवाह ..
ReplyDeleteअच्छी लघु कथा ..
100वें पोसट की बधाई !!
बहुत प्रभावी और रोचक लघु कथा..
ReplyDeleteबहुत रोचक व् मन को प्रभावित करती कथा .......इसी तरह लिखते रहिये .......१०० वीं पोस्ट के लिए बधाई !!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी लघुकथा…100 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई...
ReplyDelete100 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाईयां एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteप्रभावी और रोचक लघुकथा.
ReplyDeleteबहुत प्रभावी और रोचक लघुकथा...१००वें पोस्ट की बधाई!
ReplyDelete100वीं पोस्ट के लिये बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लघुकथा
भावनाओं का सुंदर प्रस्तुतिकरण।
ReplyDeleteबढिया पोस्ट।
bahut acchi or prabhavi rachana hai.....
ReplyDelete100vi post ki hardik badhhayi....
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteअच्छी लघुकथा…100 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपकी सौवीं पोस्ट समाज की एक कडवी सच्चाई को आइना दिॆखा रही है।
ऐसे पोस्ट समाज को एक रास्ता दिखाने का काम करती है।
बहुत बढिया
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-737:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
अच्छी पोस्ट। सौवीं पोस्ट की बधाई।
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट की बधाई
ReplyDeletebahut badhiya rachna.......
ReplyDeletebahut saari shubhkamnayain ....
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