Saturday, December 11, 2010

उसके जाने के बाद.....

सूरज की चमक हो गयी फीकी,
पंछियों ने चहकना छोड़ दिया,
अधखुली अँखियाँ जो देखती थी
हथेलियों पर उसका नाम,
सिर्फ लकीरें नज़र आती है अब
उसके जाने के बाद...

दिन भर की गहमागहमी में ,
हसरत थी एक आहट की,
एक सन्देश जो लाता था ,
उमंगें ,गुनगुनी सी शरारतें,मुस्कुराहटें,
अब मोबाइल ने चुप्पी साध ली ,
उसके जाने के बाद.....

शाम होते ही वो मिलने की ललक
सुबह से होने लगे इंतजार शाम का
कब शाम गहराकर हो गयी रात
और भीगता रहा तकिया,
अगली स्याह सुबह तक,
उसके जाने के बाद.....


उसने कहा खुश रहो,
मैंने माना उसका हर कहा,
मुस्कुराह्ते बदल गयीं है खिलखिलाहटों में
कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते

15 comments:

  1. कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते

    सच कहा ……………सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. achanak se sab kuch badal gaya hai jaise...
    uske jaane ke baad....

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  3. कविता जी पिछले एक वर्ष से हमारा परिचय है आपके ब्लॉग से .. लेकिन कभी आपके कवियत्री पक्ष से परिचय नहीं था.. आज आपकी कविता देख सुखद आशचर्य हो रहा है.. बहुत सुन्दर, भावमय और स्पंदित करने वाली कविता है... कविता जी का कविता की दुनिया में स्वागत है..

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  4. बहुत अच्छी लगी यह कविता।

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  5. arunji sach me mein bhi hairan hu kaise ye ho gaya....aap sabhi ko achchhi lagi ye jan kar khushi hui...aage bhi likhane ka prayas karti rahungi....

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  6. कब शाम गहराकर हो गयी रात
    और भीगता रहा तकिया,
    अगली स्याह सुबह तक,
    उसके जाने के बाद.....

    बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण रचना

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  7. उसने कहा खुश रहो,
    मैंने माना उसका हर कहा,
    मुस्कुराह्ते बदल गयीं है खिलखिलाहटों में
    कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते
    ...
    par phir bhi hum muskurane ki koshish karte hain ...waah

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  8. aapki rachna pratidhwani vatvriksh ke liye chahiye...rasprabha@gmail.com per

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  9. कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते

    १००% सही कहा आपने .सुन्दर अभिव्यक्ति

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  10. शाम होते ही वो मिलने की ललक
    सुबह से होने लगे इंतजार शाम का
    कब शाम गहराकर हो गयी रात
    और भीगता रहा तकिया,
    अगली स्याह सुबह तक,
    उसके जाने के बाद.....
    किसी के जाना आत्मा खींच ले जाता है ... गहरे जज़्बात की झलक है इस लाजवाब रचना में ..

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  11. शाम होते ही वो मिलने की ललक
    सुबह से होने लगे इंतजार शाम का
    कब शाम गहराकर हो गयी रात
    और भीगता रहा तकिया,
    अगली स्याह सुबह तक,
    उसके जाने के बाद.....

    बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत ही सच कहा है कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते ...

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  12. कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते.... sach hai.. bahut sunder!

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  13. कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते. बहुत सुन्दर, भावमय कविता

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  14. बहुत ही प्यारे एहसाह भरे है इस कविता में..दिल को छू लिए..... सुंदर प्रस्तुति .

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