सूरज की चमक हो गयी फीकी,
पंछियों ने चहकना छोड़ दिया,
अधखुली अँखियाँ जो देखती थी
हथेलियों पर उसका नाम,
सिर्फ लकीरें नज़र आती है अब
उसके जाने के बाद...
दिन भर की गहमागहमी में ,
हसरत थी एक आहट की,
एक सन्देश जो लाता था ,
उमंगें ,गुनगुनी सी शरारतें,मुस्कुराहटें,
अब मोबाइल ने चुप्पी साध ली ,
उसके जाने के बाद.....
शाम होते ही वो मिलने की ललक
सुबह से होने लगे इंतजार शाम का
कब शाम गहराकर हो गयी रात
और भीगता रहा तकिया,
अगली स्याह सुबह तक,
उसके जाने के बाद.....
उसने कहा खुश रहो,
मैंने माना उसका हर कहा,
मुस्कुराह्ते बदल गयीं है खिलखिलाहटों में
कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अनजान हमसफर
इंदौर से खरगोन अब तो आदत सी हो गई है आने जाने की। बस जो अच्छा नहीं लगता वह है जाने की तैयारी करना। सब्जी फल दूध खत्म करो या साथ लेकर जाओ। ग...
-
#घूंट_घूंट_उतरते_दृश्य एक तो अनजाना रास्ता वह भी घाट सड़क कहीं चिकनी कहीं न सिर्फ उबड़ खाबड़ बल्कि किनारे से टूटी। किनारा भी पहाड़ तरफ का त...
-
भास्कर मधुरिमा पेज़ २ पर मेरी कहानी 'शॉपिंग '… http://epaper.bhaskar.com/magazine/madhurima/213/19022014/mpcg/1/
-
आईने में झांकते देखते अपना अक्स नज़र आये चहरे पर कुछ दाग धब्बे अपना ही चेहरा लगा बदसूरत ,अनजाना घबराकर नज़र हटाई अपने अक्स से और देखा...
कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते
ReplyDeleteसच कहा ……………सुन्दर अभिव्यक्ति।
achanak se sab kuch badal gaya hai jaise...
ReplyDeleteuske jaane ke baad....
कविता जी पिछले एक वर्ष से हमारा परिचय है आपके ब्लॉग से .. लेकिन कभी आपके कवियत्री पक्ष से परिचय नहीं था.. आज आपकी कविता देख सुखद आशचर्य हो रहा है.. बहुत सुन्दर, भावमय और स्पंदित करने वाली कविता है... कविता जी का कविता की दुनिया में स्वागत है..
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह कविता।
ReplyDeletearunji sach me mein bhi hairan hu kaise ye ho gaya....aap sabhi ko achchhi lagi ye jan kar khushi hui...aage bhi likhane ka prayas karti rahungi....
ReplyDeleteकब शाम गहराकर हो गयी रात
ReplyDeleteऔर भीगता रहा तकिया,
अगली स्याह सुबह तक,
उसके जाने के बाद.....
बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण रचना
उसने कहा खुश रहो,
ReplyDeleteमैंने माना उसका हर कहा,
मुस्कुराह्ते बदल गयीं है खिलखिलाहटों में
कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते
...
par phir bhi hum muskurane ki koshish karte hain ...waah
aapki rachna pratidhwani vatvriksh ke liye chahiye...rasprabha@gmail.com per
ReplyDeleteकुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते
ReplyDelete१००% सही कहा आपने .सुन्दर अभिव्यक्ति
शाम होते ही वो मिलने की ललक
ReplyDeleteसुबह से होने लगे इंतजार शाम का
कब शाम गहराकर हो गयी रात
और भीगता रहा तकिया,
अगली स्याह सुबह तक,
उसके जाने के बाद.....
किसी के जाना आत्मा खींच ले जाता है ... गहरे जज़्बात की झलक है इस लाजवाब रचना में ..
शाम होते ही वो मिलने की ललक
ReplyDeleteसुबह से होने लगे इंतजार शाम का
कब शाम गहराकर हो गयी रात
और भीगता रहा तकिया,
अगली स्याह सुबह तक,
उसके जाने के बाद.....
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत ही सच कहा है कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते ...
कुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते.... sach hai.. bahut sunder!
ReplyDeleteकुछ गम सिर्फ मुस्कुराने से नहीं छुपते. बहुत सुन्दर, भावमय कविता
ReplyDeleteबहुत ही प्यारे एहसाह भरे है इस कविता में..दिल को छू लिए..... सुंदर प्रस्तुति .
ReplyDeletesundar rachana
ReplyDelete