बाबु कमल नाथ दफ्टर में सबके चहेते थे,दिन भर लोगो की चुटकिया लेना,हल्केफुल्के समस सुनाना,किसी का मुंह लटका देख कर उसे हँसाना,काम का कितना ही बोझ क्यों न हो हमेशा हँसते हुए करना,यही उनकी पहचान थी। उनके मोबाइल में ऑफिस के सभी साथियों के फ़ोन नम्बर थे ,जिन पर वो घर से भी मेसेज करते थे। उनके बॉस भी उन्हें जानते थे उनसे कभी कुछ कहते नहीं थे बल्कि वो भी उनके हंसी मजाक का हिस्सा बन जाया करते थे।
पुराने बॉस का तबादला हो गया और नए बॉस आये। उन्हें बाबु कमलनाथ का ये हंसी मजाक पसंद नहीं था,पर उनको कुछ कह नहीं पाए क्योंकि उनके काम में कोई कोताही नहीं थी।बाबू कमलनाथ इससे बेखबर थे। उन्होंने कही से बॉस का नम्बर भी कबाड़ लिया और उन्हें भी मेसेज भेजने लगे। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उनके हर सन्देश के बाद उन्हें बॉस से धन्यवाद सन्देश मिलता ,कमलनाथजी उन्हें बहुत सज्जन व्यक्ति समझने लगे।
एक दिन सन्देश के बाद आये धन्यवाद के साथ एक प्रश्न भी आया "आप कौन है?? "
कमलनाथजी ने अपना परिचय मेसेज द्वारा भेज दिया।
उस दिन के बाद कमलनाथजी के संदेशों के बाद कोई धन्यवाद सन्देश नहीं आया।
Saturday, October 2, 2010
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लोग मुँह देख कर ही थप्पड मारते हैं। अच्छी लगी आपकी रचना। धन्यवाद्
ReplyDeletedhanyavad nirmalji....rachana me sudhar hetu aapke amulya vicharon ka utsukta se intejar hai....
ReplyDeletebahut achhi rachna...aajke samaj mein aachran utna mahatvapurna nahin jitna vyakti...achha vyangy...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
dhanyavad nirmalji,kailashji aur manoj ji....
ReplyDeletespeach is silver...
ReplyDeleteहा हा हा.. यह तो होना ही था...लेकिन हँसी मजाक करना कोई बुरी बात तो नहीं....
ReplyDeleteउदास हैं हम....
अापकी रचनाएं पढ खुशी हुई.
ReplyDeleteअापके ब्लाग पर अाना सफल हुअा.