ऊउउऊ ............ मोनू के रोने की आवाज़ सुन कर सुनीति चोंक गयी.क्या हुआ बेटा ?
मम्मा दादी ने सोनू को ज्यादा जामुन दी मुझे कम दी .दादी हमेशा ऐसा ही करती है। सोनू को हर चीज ज्यादा देती है। मोनू की आवाज़ में दिल को छलनी कर देने वाली कातरता थी। नहीं बेटा ऐसा नही है दादी सबको बराबर देती है तुम्हे ऐसा लगा होगा । दादी तो मोनू को भी बहुत प्यार करती है,कहते-कहते सुनीति ख़ुद ही सकपका गयी। अब पाँच साल के बच्चे को क्या समझाए वो भी जानती है मोनू झूठ नही बोल रहा है। अगले महीने राखी है दोनों ननद आने वाली हैं। मांजी की इच्छा है इस बार उन्हें पूरे कपडे करने के साथ ही सोने के कंगन भी दिए जाए.जेठजी अच्छी कंपनी में ऊँचे पद पर हैं उनके लिए कुछ हजारों का खर्चा निकलना कुछ ज्यादा मुश्किल नही है,पर पति की नौकरी में इस समय कुछ भी ठीक नही चल रहा है ,ऐसे में ये खर्च .परसों ही सुबोध ने मांजी से पैसे का इंतजाम न होने की बात की थी तभी से उनका मूड उखडा हुआ है ।
मोनू रोते-रोते सो गया,उसे चादर उड़ाते हुए सुनीति ने अपनी आंखों की कोरे पोंछी,और काम में लग गयी।
शाम को सुबोध ऑफिस से आए तो सोनू को सोते देख कर पूछा ये अभी क्यों सो रहा है ?
खेलते-खेलते थक गया था ।
वो पति की परेशानी और नही बढ़ाना चाहती थी,लेकिन मोनू के गालों पर सूखे आंसुओं के निशान सुबोध की नज़रों से छुप न सके .में अभी आता हूँ कह कर वो घर से निकल गए.
रात में सुबोध ने उसके हाथ में दस हज़ार रुपये रखे तो वह चौंक पड़ी । मैंने दिनेश से उधार ले लिए कल मांजी को दे दूंगा.कहते हुए उन्होंने मोनू के सर पर हाथ फेर कर उसका माथा चूम लिया।
कविता वर्मा
मम्मा दादी ने सोनू को ज्यादा जामुन दी मुझे कम दी .दादी हमेशा ऐसा ही करती है। सोनू को हर चीज ज्यादा देती है। मोनू की आवाज़ में दिल को छलनी कर देने वाली कातरता थी। नहीं बेटा ऐसा नही है दादी सबको बराबर देती है तुम्हे ऐसा लगा होगा । दादी तो मोनू को भी बहुत प्यार करती है,कहते-कहते सुनीति ख़ुद ही सकपका गयी। अब पाँच साल के बच्चे को क्या समझाए वो भी जानती है मोनू झूठ नही बोल रहा है। अगले महीने राखी है दोनों ननद आने वाली हैं। मांजी की इच्छा है इस बार उन्हें पूरे कपडे करने के साथ ही सोने के कंगन भी दिए जाए.जेठजी अच्छी कंपनी में ऊँचे पद पर हैं उनके लिए कुछ हजारों का खर्चा निकलना कुछ ज्यादा मुश्किल नही है,पर पति की नौकरी में इस समय कुछ भी ठीक नही चल रहा है ,ऐसे में ये खर्च .परसों ही सुबोध ने मांजी से पैसे का इंतजाम न होने की बात की थी तभी से उनका मूड उखडा हुआ है ।
मोनू रोते-रोते सो गया,उसे चादर उड़ाते हुए सुनीति ने अपनी आंखों की कोरे पोंछी,और काम में लग गयी।
शाम को सुबोध ऑफिस से आए तो सोनू को सोते देख कर पूछा ये अभी क्यों सो रहा है ?
खेलते-खेलते थक गया था ।
वो पति की परेशानी और नही बढ़ाना चाहती थी,लेकिन मोनू के गालों पर सूखे आंसुओं के निशान सुबोध की नज़रों से छुप न सके .में अभी आता हूँ कह कर वो घर से निकल गए.
रात में सुबोध ने उसके हाथ में दस हज़ार रुपये रखे तो वह चौंक पड़ी । मैंने दिनेश से उधार ले लिए कल मांजी को दे दूंगा.कहते हुए उन्होंने मोनू के सर पर हाथ फेर कर उसका माथा चूम लिया।
कविता वर्मा
बहुत दुखद: है।
ReplyDeleteसुबोध कब तक उधार लेता फिरेगा? बेहतर होगा कि मांजी को साफ साफ अपनी आर्थिक स्थिती के बारे में बता दे; हाँ उनकी नाराजगी सहन तो करनी ही होगी।
कहानी बेहतर है लेकिन है घर-घर की, नहीं हर घर की।
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आपने लेख का शीर्षक वाला कॉलम बंद कर रखा है इसलिये आपके लेख सीधे पहले पैरा से शुरु हो रहे हैं। आप Dasha Board में जाकर Formatting - Show Title Field में No को Yes करदें, और पोस्ट एडिटर में जाकर अपनी पुरानी पोस्ट को शीर्षक दे दें।
धन्यवाद।
काश रिश्तों के समीकरण इतने आसान होते ... ये ममता के गिरगिटी रंग हें - मधुरिमा की 4-color offset story नहीं.
ReplyDeleteखूब कही ... आभार.
Aaj ke commercial yug mein hum rishton ko makeup ke saath dekhne lage hain.... uske picche kee sachhaie ko nahi ! Har vyakti aaj subodh ban inshe jhel raha hai... badhiya laghu katha ke liye badhai !
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