"किंशुक पूरे घर को दिये और मोमबत्ती से सजाना" मयंक ने कहा तो किंशुक चिंहुक उठी। बहुत अच्छा आइडिया है मयंक एकदम अलग लगेगा।
पूरा बंगला मोमबत्ती की झिलमिलाती रोशनी से जगमगा उठा और मयंक देर तक उनकी लौ को ताकता रहा। पहले तो किंशुक को लगा कि इस सजावट से अभिभूत हो कर मयंक उसमे खोया हुआ है। पर जब देर तक उसने मयंक को मोमबत्ती की लौ को ताकते देखा तो उसे अजीब सा लगा।
"मयंक क्या हुआ है ऐसे क्या देख रहे हो ?" वह कई बार उसके आसपास से गुजरी उससे बातचीत करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला तो थक कर बैठ गई और खो गई।
मयंक के प्रमोशन की खबर सुनकर किंशुक ख़ुशी से झूम उठी थी। मयंक अब तो तुम्हे सरकारी बंगला मिलेगा ना ?
हाँ बंगला गाड़ी ड्राइवर सभी मिलेगा। किंशुक की ख़ुशी से रोमांचित मयंक ने उसे बाँहों में लेते हुए कहा।
"वाह अब हम अफसरी शान बान के साथ रहेंगे सरकारी गाड़ी ड्राइवर क्या ठाठ होंगे। रिश्तेदारों जान पहचान वालों में इज्जत कई गुना बढ़ जाएगी।"
अचानक मयंक ने अपनी बाँहों का घेरा ढीला किया और फोन की तरफ बढ़ा। "हाँ अम्मा अब तुम्हार बिटवा बड़का अफसर हो गवा है। अब यहाँ से जाना पड़ेगा पर बड़े शहर में बड़ा बंगला मिलेगा तुम भी अब हमारे साथ शहर में रहना अपनी पोटली बाँध लो। "
यह सुनते ही किंशुक का चेहरा उतर गया। "मयंक सुनो तो पहले हम लोग तो वहाँ सैटल हो जाएँ नया शहर नयी सोसायटी नए लोग कैसे होंगे उन्हें जान समझ लें फिर अम्मा बाबूजी को बुलवा लेंगे कुछ दिनों के लिए। " अंतिम चार अक्षर बोलते उसका स्वर धीमा हो गया और उसी तरह मयंक के चेहरे की ख़ुशी भी ढल गई। वह बिना कुछ कहे कमरे से बाहर चला गया जिसे किंशुक ने अपनी बात की सहमति समझा।
आज मयंक ने बंगला मोमबत्ती दिये से सजाने को कहा और कब से लौ को टकटकी लगाए देख रहा है।
"मयंक कुछ तो बोलो क्या देख रहे हो ?"
" देख रहा हूँ अम्मा कैसे जिंदगी भर तिल तिल जलती रही और आज मेरी जिंदगी रौशनी से भर कर खुद वहाँ गाँव के अँधेरे में अकेले पड़ी हैं जैसे इस लौ के नीचे अँधेरा है वैसे ही। और आँखें पोंछते मयंक झटके से उठ कर कमरे से बाहर चला गया।
किंशुक सन्न रह गई और रौशनी के बावजूद दिल के एक कोने को अँधेरे से भर देने के पश्चाताप से भर कर लौ को ताकती रह गई।
कविता वर्मा
bhut sundr khani hai...
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 10 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबढ़िया।
ReplyDeletebahut badhiya likhi hain .. shubhkaamna
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..... आभार
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।