Saturday, November 17, 2012

जिंदगी



जाने किसमे क्या 
तलाशती है जिंदगी 
एक अनबुझी प्यास सी जिंदगी 
प्यास में भी आस को 
तलाशती है जिंदगी। 

मिले जो राहों में 
ठिठक कर उनका 
साथ चाहती है जिंदगी 
चलते चार कदम साथ उनके 
उन्हें अपना सा ढालना 
चाहती है जिंदगी।

ढले जो मन के अक्स में 
उस पर इठलाती है जिंदगी 
फिर क्यों बदलने की 
शिकायत करती है जिंदगी 

बदलती राहों में 
साथ पुराना चाहती है जिंदगी 
फिर क्यों हर नयी राह  पर 
बदलाव चाहती है जिंदगी 

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