Friday, August 9, 2013

पागल

हाथ में पत्थर उठाये वह पगली अचानक गाड़ी के सामने आ गयी तो डर के मारे मेरी चीख निकल गयी. बिखरे बाल, फटे कपडे, आँखों में एक अजीब सी क्रूरता पत्थर लिए हाथ ऊपर ही रह गया.लेकिन जाने क्यों वह ठिठक गयी पत्थर फेंका नहीं उसने .गाड़ी जब उसके बगल से गुजरी खिड़की के बहुत पास से उसके चेहरे को देखा.अब वहां एक अजीब सा सूनापन था.
कार के दूसरी ओर से एक ट्रक निकल गया. वह कार के पीछे की ओर भागी और ट्रक पर पत्थर फेंक दिया.आसपास दुकानों पर खड़े लड़के हंस रहे थे.वह पगली थी घोषित पगली.ना जाने किस ट्रक या ट्रक वाले ने उसके साथ कुछ बुरा किया था की वह हर ट्रक को अपना निशाना बनाती थी.लेकिन उसकी नफरत पर नियंत्रण था .ट्रक के सामने आ खडी हुई कार को उसने कोई नुकसान  नहीं पहुँचाया था.
युवाओं की भीड़ शहर की मुख्य सड़क पर जुलुस की शक्ल में चली जा रही थी. महंगाई के विरोध में आज भारत बंद का आव्हान है.रास्ते में खुली मिली हर दुकान में ये युवा तोड़ फोड़ लूटपाट करते चले जा रहे थे. सच तो ये है कि इनका आक्रोश किसके विरुद्ध  है ये नहीं जानते ना इन्हें अपना लक्ष्य पता है ना ही इस आक्रोश पर कोई नियंत्रण है. रास्ते में आने वाला हर व्यक्ति,दुकान ,सामान इनका निशाना बन रहे हैं.
पता नहीं पागल कौन है? 
कविता वर्मा 

16 comments:

  1. बहुत सार्थक लेख..

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  2. प्रश्न ही उत्तर है...
    उन्माद ने पागल कर दिया है भीड़ को!

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  3. लगता है किसी मानसिक आघात ने उसे पागल कर दिया,,,

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  4. sach kaha aapne, " pata nahin pagal koun hai ".sarthak lekh Kaavitaji

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  5. bhavpurn,sarthak rachna...wo pagal samaz ka kodh hai or kya......

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  6. बहुत सटीक और विचारणीय प्रश्न...

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  7. सच ही तो कहा है... पता नहीं पागल कौन ... ये संवेदनहीन समाज ... वो पगली तो नहीं हो सकती कभी भी ...

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  8. बेहद संवेदनशील और सार्थक लेखन...
    शुक्रिया कविता जी.

    अनु

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  9. वो नहीं जानते की वो क्या क्रर रहे है. इस साधारण सी घटना कितना कुछ कह गई.

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  10. बेहद खूबसूरत और संवेदनशील....
    शुभ-कामनायें

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  11. बिलकुल जमीनी हकीकत है | पागलपन की सीमा होनी चाहिए

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  12. कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने ......

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  13. कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने ......

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  14. Paagal kon hai.... Ye to apni apni samajh he.. Bahoot satik lekh.. Badhai

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  15. दिल को छू लेने वाली बात कही है इस कथा के माध्यम से..सुंदर..

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