हाथ में पत्थर उठाये वह पगली अचानक गाड़ी के सामने आ गयी तो डर के मारे मेरी चीख निकल गयी. बिखरे बाल, फटे कपडे, आँखों में एक अजीब सी क्रूरता पत्थर लिए हाथ ऊपर ही रह गया.लेकिन जाने क्यों वह ठिठक गयी पत्थर फेंका नहीं उसने .गाड़ी जब उसके बगल से गुजरी खिड़की के बहुत पास से उसके चेहरे को देखा.अब वहां एक अजीब सा सूनापन था.
कार के दूसरी ओर से एक ट्रक निकल गया. वह कार के पीछे की ओर भागी और ट्रक पर पत्थर फेंक दिया.आसपास दुकानों पर खड़े लड़के हंस रहे थे.वह पगली थी घोषित पगली.ना जाने किस ट्रक या ट्रक वाले ने उसके साथ कुछ बुरा किया था की वह हर ट्रक को अपना निशाना बनाती थी.लेकिन उसकी नफरत पर नियंत्रण था .ट्रक के सामने आ खडी हुई कार को उसने कोई नुकसान नहीं पहुँचाया था.
युवाओं की भीड़ शहर की मुख्य सड़क पर जुलुस की शक्ल में चली जा रही थी. महंगाई के विरोध में आज भारत बंद का आव्हान है.रास्ते में खुली मिली हर दुकान में ये युवा तोड़ फोड़ लूटपाट करते चले जा रहे थे. सच तो ये है कि इनका आक्रोश किसके विरुद्ध है ये नहीं जानते ना इन्हें अपना लक्ष्य पता है ना ही इस आक्रोश पर कोई नियंत्रण है. रास्ते में आने वाला हर व्यक्ति,दुकान ,सामान इनका निशाना बन रहे हैं.
पता नहीं पागल कौन है?
कविता वर्मा
बहुत सार्थक लेख..
ReplyDeleteप्रश्न ही उत्तर है...
ReplyDeleteउन्माद ने पागल कर दिया है भीड़ को!
लगता है किसी मानसिक आघात ने उसे पागल कर दिया,,,
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: तस्वीर नही बदली
sach kaha aapne, " pata nahin pagal koun hai ".sarthak lekh Kaavitaji
ReplyDeletebhavpurn,sarthak rachna...wo pagal samaz ka kodh hai or kya......
ReplyDeleteचारों तरफ़ यही पागलपन हावी है.
ReplyDeleteरामराम.
दो और दो पांच के धमाल में पहुंची सुमन !
बहुत सटीक और विचारणीय प्रश्न...
ReplyDeleteसच ही तो कहा है... पता नहीं पागल कौन ... ये संवेदनहीन समाज ... वो पगली तो नहीं हो सकती कभी भी ...
ReplyDeleteबेहद संवेदनशील और सार्थक लेखन...
ReplyDeleteशुक्रिया कविता जी.
अनु
वो नहीं जानते की वो क्या क्रर रहे है. इस साधारण सी घटना कितना कुछ कह गई.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत और संवेदनशील....
ReplyDeleteशुभ-कामनायें
बिलकुल जमीनी हकीकत है | पागलपन की सीमा होनी चाहिए
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने ......
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने ......
ReplyDeletePaagal kon hai.... Ye to apni apni samajh he.. Bahoot satik lekh.. Badhai
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली बात कही है इस कथा के माध्यम से..सुंदर..
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