Tuesday, April 29, 2014
Monday, April 21, 2014
Friday, April 18, 2014
बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: “परछाइयों के उजाले” – आईना ज़िंदगी का
बातें-कुछ दिल की, कुछ जग की: “परछाइयों के उजाले” – आईना ज़िंदगी का: कविता वर्मा जी के कहानी लेखन से पहले से ही परिचय है और उनकी लिखी कहानियां सदैव प्रभावित करती रही हैं. उनका पहला कहानी संग्रह “परछाइयों क...
Tuesday, April 8, 2014
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बैंक में एक दिन अनायास
कल एक प्रायवेट बैंक में जाना पड़ा। पड़ा इसलिये क्योंकि मैं ज्यादातर बैंक जाना बिल भरना सब्जी खरीदने जैसे काम करना पसंद नहीं करती लेकिन ऐ...
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ये कविता मेरे भाई योगेश वर्मा ने अपने कौलेज के दिनों में लिखी थी मन का क्लेश समाप्त हुआ अब वह अध्याय नित-सौरभ-संचन औ' काव्य व्यवसाय ...
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#बाल_बाल_बचे #गुस्से_के_गुड_इफेक्ट मोबाइल हाथ में ही था जब एक मैसेज आया कि अकाउंट में तीन सौ रुपये आये हैं। एक बार देखा फिर सोचा आये हों...
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पंद्रह दिन के अपने टूर में गुवाहाटी दार्जिलिंग और सिक्किम गये थे। लिखना तो सभी के बारे में है पर कुछ यादें ज्यादा याद आती हैं और उन्हें लि...