Saturday, October 24, 2020

पड़ोसी हाय पड़ोसी

 करीब दो महीने से हाथ में तेज दर्द था। लगा कि लाॅकडाउन में सभी काम हाथ से करने के कारण शायद मसल्स में दर्द हो गया है लेकिन दर्द बढ़ता गया। यह समय बिटिया के अमेरिका जाने का भी था इसलिए थोड़ा टालते रहे कि अभी हास्पिटल डाक्टर के चक्करों में न पडें। बिटिया के जाने के बाद डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने फ्रोजन शोल्डर की आशंका जताते हुए एम आर आई करवाई ब्लड टेस्ट हुए। दवाइयाँ पहले ही लिख दी गई थीं साथ ही एक्सरसाइज का एक चार्ट था जिसे पहले तो खूब सीरियसली नहीं लिया लेकिन फिर लगा कि यह भी एक आवश्यक तत्व है तो उसे करना शुरू किया।

परसों डाक्टर को ब्लड रिपोर्ट और एमआरआई दिखाई तो उन्होंने शोल्डर में इंजेक्शन देने को कहा। चूँकि भाभी भी डाक्टर है उससे बात हुई तो उनने बताया कि इससे कंधे की साॅकेट में जो कैल्शियम डिपाजिशन होता है उसे डिजाल्व करके मूवमेंट को सरल बनाया जाता है इसलिए मैं तुरंत तैयार हो गई। ओटी में ले जाकर यह इंजेक्शन लगा कुछ आराम महसूस हुआ। अब रोज कंधे की गर्म पानी के नैपकिन से सिंकाई करके एक्सरसाइज करने में लगभग एक घंटा लग जाता है जो बुरी तरह थका देता है। इस सबके साथ दवाइयों के असर के कारण चक्कर से आने लगते हैं तेज नींद आती है। खैर यह तो हुई सामान्य सी बात शायद सभी के फ्रोजन शोल्डर में यही स्थिति होती होगी।

अब खास बात घर के सामने एक मकान बन रहा है जहाँ आजकल टाइल्स लगने का काम चल रहा है दिन भर टाइल्स कटने की किर्र किर्र कानों में अजीब झनझनाहट पैदा करती है लेकिन वह तो होगा ही इस आवाज को आप रोक नहीं सकते। असली परेशानी है इस मकान के मालिक की आवाज। वह व्यक्ति इतनी जोर से बात करता है कि मुझे मेरे घर के सबसे अंदर के कमरे तक उसकी आवाज आती है। पहले वह हर संडे सारे दिन मकान का काम देखने आता था और फोन स्पीकर पर डालकर जोर जोर से बातें करता था। एक दिन अंततः मैंने उससे कहा कि भाईसाहब संडे को लोग दिन में आराम करते हैं।

अब वह यहीं एक किराये के मकान में शिफ्ट हो गया है और दिन भर इतनी जोर जोर से बोलता है कि मेरे घर के सबसे अंदर के कमरे तक टाइल्स कटने की आवाज नहीं आती लेकिन उसके बोलने की आवाज आती है। दोपहर बाद वह आफिस चला जाता है तो उसका बेटा उसकी जगह संभाल लेता है। शाम को तरी करना हो या खेलना हो इतनी जोर जोर से चिल्लाता है कि आप घर के किसी कमरे में शांति से नहीं बैठ सकते।

चूंकि अब उसे जिंदगी भर इसी मकान में रहना है और कुछ कहने का मतलब जीवन भर की बुराई मोल लेना है और कुछ न कहना मतलब जिंदगी भर टार्चर होना। पता नहीं लोगों को अपनी खुद की आवाज सुनाई देती है या नहीं या वे बोलते ही इसलिये हैं कि आसपास वाले लोग सुनकर उन्हें स्मार्ट समझें। हालाँकि मुझे तो वे..... खैर छोड़िये।

#civic_sense #noisi_neigbbour #तुम_कहो_जग_सुने

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. कई लोग इतने अजीब होते हैं कि उन्हें दूसरों की परेशानी समझ नहीं आती या फिर जानबूझकर परेशान करने के लिए करते हैं. अब तो झेलना ही होगा. स्वास्थ्य का ध्यान रखें.

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    1. जी इन लोगों का ईगो इतना होता है कि अगर कोई परेशानी बताए तो उसे परेशानी नहीं मानते बल्कि खुद की बेइज्जती मानते हैं।

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नर्मदे हर

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